बिहार के दरभंगा में नहीं बनेगा AIIMS, मेडिकल माफिया और दलालों का कुचक्र हुआ शुरू

प्रिय साथियों, बिहार में प्रस्तावित दूसरे एम्स को दरभंगा से स्थानांतरित करने का जो कुचक्र रचा जा रहा है उसके पीछे निश्चित रूप से मेडिकल माफिया का हाथ है। दरभंगा जिसे ‘मेडिकल हब’ के नाम से जाना जाता है और दरभंगा में नाका नंबर 6 के चहुओर लगभग 7-8 किलोमीटर के दायरे में DMCH के अलावा हजारों की संख्या में डॉक्टर, दवा की दुकानें और डॉयग्नोस्टिक सेंटर खुले हुए हैं। आधे से ज्यादा DMCH के डॉक्टर अपना प्राइवेट अस्पताल या क्लीनिक चला रहे हैं। ्DMCH की बदहाली क्यों है और इसके पीछे क्या कारण है ये प्राय: सबको पता ही है लेकिन अब जो साजिश रची जा रही है कि किसी तरह से दरभंगा में एम्स का निर्माण कार्य ना हो पाए इसके पीछे पूरी तरह से मेडिकल माफिया का ही हाथ है। दरभंगा में एम्स बन जाएगा तो किन लोगों की दुकानदारी पूरी तरह से चौपट हो जाएगी ये सबको पता है।

जब दिल्ली के एम्स में इलाज कराने के लिए भारी संख्या में मिथिलावासी हजार किमी का फासला तय कर पहुंच जाते हैं तो दरभंगा में एम्स बन जाएगा तो कोई क्यों वहां के प्राइवेट अस्पताल में जाना पसंद करेगा? एम्स निर्माण के लिए सभी जरूरी मानको पर खरा उतरता है दरभंगा, एयरपोर्ट होने के चलते किसी भी आपात परिस्थिति में एक्सपर्ट डॉक्टर यहां 2 से 3 घंटे में पहुंच सकते हैं।

दरभंगा में एम्स बन जाने से मधुबनी झंझारपुर, मुजफ्फरपुर, सीतामढी, समस्तीपुर, शिवहर, मोतीहारी और आसपास के कई जिलों के लोगों को चिकित्सा सुविधा में लाभ मिल सकता है। साजिश की बू इसलिए आ रही है कि दरभंगा के मेडिकल माफियाओं के पास अकूत पैसा है और वे अपने पैसे के दम पर पूरी ताकत लगा देंगे कि दरभंगा में एम्स का निर्माण हो ही नहीं पाए। अब फैसला यहां के लोगों को करना है कि वे इस साजिश के खिलाफ सजग होकर संघर्ष करते हैं या नहीं? अगर दरभंगा में एम्स का निर्माण नहीं हुआ तो आने वाली पीढ़ी भी हमें और आपको कभी माफ नहीं करेगी, इसलिए जहां है और जिस तरीके से भी आप कर सकते हैं…आवाज जरूर बुलंद करिए।

आज नहीं तो कभी नहीं वाली स्थिति है…और एक बात की अगर दरभंगा में एम्स नहीं तो जितने भी जनप्रतिनिधिगण और नेता हैं उन सभी को इतिहास कभी माफ नहीं करेगा और आप खुद आने वाले दिनों में इतिहास बनकर रह जाएंगे। दरभंगा में एम्स जरूरी है और मिथिला के सभी जिलों में स्वास्थ्य सुविधाएं उत्तम हो सके इसके लिए भी हमें प्रयासरत रहना चाहिए।

लेखक : पंकज प्रसून, वरिष्ठ पत्रकार

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