RJD के पोस्टर से आउट हुए लालू के संकटमोचक डाॅ. रघुवंश प्रसाद सिंह, चर्चा शुरू

राजद कार्यालय में शनिवार को मिलन समारोह के दौरान लगाए गए पोस्टर से डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह का चित्र हटा दिया गया। मंच पर बड़ा बैनर लगाया गया, जिसमें डाॅ. रघुवंश को छोड़ पार्टी के लगभग सभी नेताओं की तस्वीर थी। इस मौके पर मंच से तेजप्रताप यादव ने कहा कि वे नेता से ज्यादा कार्यकर्ताओं को तरजीह देते हैं, क्योंकि कार्यकर्ता पार्टी की रीढ़ होते हैं। संगठन में लोग आते-जाते रहते हैं। र यह साइकिल चलता रहता है। कार्यक्रम खत्म होने के बाद जब उनसे रघुवंश बाबू को लेकर सवाल पूछा गया तो तेजप्रताप यादव ने हाथ जोड़ लिए। इस संदर्भ में प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि मिलन समारोह में पार्टी की तरफ से नहीं, कार्यकर्ताओं ने अपने स्तर से पोस्टर लगाया था।

करिश्मा बोलीं-खूब मिल रहा दानापुर में समर्थन : तेजप्रताप की साली करिश्मा राय ने कहा कि दानापुर क्षेत्र की जनता मुझे रोल मॉडल की तरह देख रही है। मुझे बेटी समझकर लोगों भरपूर समर्थन दे रहे हैं। चाचा चंद्रिका राय द्वारा लालू परिवार पर लगाए जा रहे आरोपों पर कहा कि राबड़ी देवी, मीसा देवी को मैं बचपन से जानती हूं। लालू परिवार पर लगने वाले आरोप मैं खारिज करती हूं।

हम लोग कहते रहे रानी के पेट से नहीं, बैलेट से राजा पैदा होता है, वहां पर क्या हो रहा है, सब देख रहे हैं : डाॅ. रघुवंश प्रसाद सिंह अब भी वेंटीलेटर पर हैं। उनके फेफड़े में संक्रमण के कारण परेशानी है। पत्र उपलब्ध करने वाले उनके समर्थक ने शनिवार को बताया कि उनकी हालत स्थिर है, पर अभी अस्पताल प्रशासन वेंटीलेटर पर ही रखने की बात कह रहा है।

तबियत ज्यादा खराब होने से पहले डाॅ. रघुवंश प्रसाद सिंह ने एक साथ 6-7 पेज में पत्र लिखे थे, जिसमें से उनके करीबियों ने दो पत्र फिर सार्वजनिक किया है। एक पत्र में डाॅ. रघुवंश ने राजद की कार्यशैली पर तीखा हमला करते हुए कहा है कि राजद में सामंती माहौल है। वहां अब विचारधारा पर बहस की गुंजाइश नहीं है। संगठन को मजबूत करने के लिए हमने पत्र लिखा तो उसे ताक पर रख दिया गया, पढ़ने का भी कष्ट नहीं किया गया।

जिस समाजवादी मंच से हम लोग कहते रहे कि रानी के पेट से नहीं, बैलेट के बक्से से राजा पैदा होता है। वहां पर क्या हो रहा है, इसे लोग देख रहे हैं। राजद का जिक्र किए बिना इशारो में उन्होंने कहा कि संगठन में सचिव से ज्यादा महासचिव बनाना हास्यास्पद नहीं तो क्या है। जयकारा लगवाने और रोज के बयान से राजद अपने प्रतिद्वंदियों से कैसे निबटेगी। इतना बड़ा जनाधार और कार्यकर्ताओं को बिना काम के बैठाकर रखने का उदाहरण दुनिया में कहीं नहीं मिलेगा। इस नारे की गूंज भी अब गायब हो गई है- ‘सावधान पद और पैसे से होना है गुमराह नहीं, सीने पर गोली खाकर निकले मुख से आह नहीं।’

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