वेटर की नौकरी करते-करते बन गया IAS, मां करती थी दूसरों के घर में मजदूरी और पिता चलाते थे रिक्शा

मैं एक आईएएस अफसर हूं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि मेरी मां दूसरों के घर में जाकर मजदूरी करती थी और पिता रिक्शा ड्राइवर थी और रिक्शा चला कर परिवार का पालन पोषण करते थे. मेरे जन्म के बाद उन दोनों ने मेरे लिए वह सब कुछ किया जो एक माता-पिता को करना चाहिए था. उन्होंने हर संभव मुझे पढ़ने लिखने का प्रयास किया. बचपन से पढ़ने में तेज था मैट्रिक इंटर पास करने के बाद मन में नौकरी करने का विचार आया और सोचने लगा कि पापा की मदद करनी चाहिए. इसी बीच मुझे कई सालों तक वेटर की नौकरी करना पड़ा. पढ़ाई जारी रहा और मेहनत के दम पर मैंने यूपीएससी परीक्षा में सफलता का परचम लहराकर आईएएस अधिकारी बन गया…

मेहनत और संघर्ष से मुश्किल से मुश्किल रास्ता भी आसान हो जाता है। गरीबी से निकल कर कई गुदड़ी के लाल आज अपनी मंजिल हासिल करके अपना नाम रोशन कर रहे हैं। ऐसी ही कहानी है आईएएस अंसार अहमद शेख की। पिता रिक्शा ड्राइवर, मां मजदूर और खुद अंसार को वेटर की नौकरी करनी पडी, लेकिन मंजिल को उन्होंने अपनी आंखो से ओझल नहीं होने दिया और आखिरकर यूपीएससी परीक्षा में परचम लहरा कर ही दम लिया।

अंसार अहमद महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव से संबंध रखते हैं। पिता ऑटो रिक्शा ड्राइव करते थे। अंसार अपने दो बहनों और भाईयों के साथ रहते थे। बचपन से ही अंसार अहमद पढ़ने में तेज थे। पिता की कमाई से घर खर्च भी नहीं चल पाता था। मां इसलिए मजदूरी करती थी ताकि बच्चों को किसी तरह से दो वक्त की रोटी मिल सके। स्कूल में मिलने वाला मिड-डे-मिल के खाने से ही उन्हें कई बार भूख मिटाना पड़ता था। एक समय ऐसा आया जब अंसार के पिता उन्हें पढ़ाई बंद करने के लिए दवाब डालने लगे। हालांकि टीचर के समझाने पर वो मान गए।

अंसार को 10वीं में जो शिक्षक पढाते थे उन्हें MPPCS के लिए चुन लिया गया, यहीं से अंसार ने यूपीएससी की तैयारी करने का मन बना लिया। कॉलेज के दिनों में जब उन्हें छुट्टियां मिलती थी तो वो काम करके पैसे जमा करते थे ताकि अच्छी तरीके से तैयारी कर सकें। इसके लिए उन्होंने होटल में वेटर की नौकरी भी की। जहां उन्हें बर्तन धोने से लेकर फर्श पर पोछा भी मारना पड़ता था।

एक समय ऐसा आया जब उनके पास खाने के भी पैसे नहीं रहते थे, कई बार उन्हें भूखा रहना पड़ता था, लेकिन बचपन से ही मुसीबतों को झेल रहे अंसार को भूख भी मंजिल पाने से नहीं रोक पाई।

आखिरकार अंसार के संघर्ष और मेहनत के सामने मुसीबतों ने हार मान ही लिया और 2015 के अपने पहले ही प्रयास में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा में 371वी रैंक ले आए और उन्हें आईएएस के लिए चुन लिया गया। जब रिजल्ट आया तो उनके पास दोस्तों को ट्रीट देने के लिए भी पैसे नहीं थे। तब उनके एक दोस्त ने उन्हें मदद किया था। आज असार एक सफल अधिकारी हैं और लगातार विकास कार्यों में लगे रहते हैं।

डेली बिहार न्यूज फेसबुक ग्रुप को ज्वाइन करने के लिए लिंक पर क्लिक करें….DAILY BIHAR  आप हमे फ़ेसबुकट्विटरइंस्टाग्राम और WHATTSUP,YOUTUBE पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *