मुजफ्फरपुर का मयंक बना अफसर, 10 लाख की नौकरी को ठुकराया, माता—पिता का सपना हुआ साकार

किसान का बेटा बना अधिकारी, दादा का सपना पूरा करने को छोड़ी 10 लाख की नौकरी, जानें मयंक की कहानी : बीपीएससी 68वीं की परिक्षा के परिणाम में मुजफ्फरपुर के मयंक ने कमाल कर दिया. मध्यम वर्गीय परिवार से आने वाले मयंक अब प्रखण्ड कल्याण पदाधिकारी बन गए हैं. मयंक के पिता किसान हैं. मयंक भी इंजीनियरिंग बैकग्राउंड से आते हैं. लेकिन उनके परिवार का सपना था कि वह सरकारी नौकरी करें.

मयंक के दादा जी चाहते थे कि मयंक सरकारी अधिकारी बने. इसके बाद मयंक ने बीपीएससी की तैयारी शुरू कर दी. पहले अटेम्प्ट में तो वे असफल हो गए, लेकिन अपनी तैयारी नहीं छोड़ी. बल्कि, तैयारी को और तेज कर दिया. इस बार उन्हें 457वां रैंक मिला. उन्हें प्रखंड कल्याण पदाधिकारी का पद मिला है. मयंक ने बताया कि उनके दादाजी स्वतंत्रता सेनानी थे. उनका सपना था कि वह सरकारी नौकरी करें. मयंक ने बताया कि दादा जी का सपना पूरा करने के लिए बड़े पापा भी ने भी खूब मेहनत की थी, लेकिन वे मामूली मार्क से चूक गए थे. मयंक की बड़ी मम्मी भी चाहती थी कि वह सरकारी नौकरी करें. इस बीच उनका देहांत हो गया. आज दादा और बड़ी मम्मी होती तो बहुत खुश होती.

मयंक के दादा जी चाहते थे कि मयंक सरकारी अधिकारी बने. इसके बाद मयंक ने बीपीएससी की तैयारी शुरू कर दी. पहले अटेम्प्ट में तो वे असफल हो गए, लेकिन अपनी तैयारी नहीं छोड़ी. बल्कि, तैयारी को और तेज कर दिया. इस बार उन्हें 457वां रैंक मिला. उन्हें प्रखंड कल्याण पदाधिकारी का पद मिला है.

मयंक ने बताया कि उनके दादाजी स्वतंत्रता सेनानी थे. उनका सपना था कि वह सरकारी नौकरी करें. मयंक ने बताया कि दादा जी का सपना पूरा करने के लिए बड़े पापा भी ने भी खूब मेहनत की थी, लेकिन वे मामूली मार्क से चूक गए थे. मयंक की बड़ी मम्मी भी चाहती थी कि वह सरकारी नौकरी करें. इस बीच उनका देहांत हो गया. आज दादा और बड़ी मम्मी होती तो बहुत खुश होती.

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