नीतीश सरकार की गुंडागिरी, चमकी बुखार से जिनके बच्चे मरे उन पर ही FIR दर्ज

PATNA : बिहार के वैशाली के हरिवंशपुर में 39 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई, क्योंकि उन्होंने इलाके में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के कारण कई लोगों की पानी की आपूर्ति में कमी और कई बच्चों की मौ-त का विरोध किया था।

जिन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, उनके रिश्तेदारों कहना है कि, “हमारे बच्चों की मौ-त हो गई है। हमने सड़क घेराव किया था, लेकिन प्रशासन ने हमारे खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। जिन पुरुषों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, वे गांव छोड़ कर चले गए हैं। अब हमारे घर में रोजी-रोटी कमाने वाला कोई नहीं बचा है। “

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FIR COPY

जानकारी अनुसार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम (Acute Encephalitis Syndrome (AES) यानी चमकी बुखार से पीड़ित लोगों से मिलने मुजफ्फरपुर जाने वाले थे। हरिवशंपुर गांव के लोगों को लगा था कि नीतीश कुमार सड़क के रास्ते जाएंगे, इसी उम्मीद में लोगों ने उस रास्ते को जाम कर दिया। लेकिन प्रशासन को यह नागवार गुजरा। पानी के लिए और बुखार के इलाज की मांग को लेकर सड़क जाम किए जाने पर हरिवंशपुर गांव के 19 लोगों पर मामला दर्ज किया गया। इसमें 4 लोग ऐसे भी हैं, जिनके बच्चे चमकी बुखार से मरे हैं।

18 जून को जिस दिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिमागी बुखार के मरीज़ों का हाल जानने के लिए मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल का दौरा करने गए थे। टोले वालों ने अपने यहां की समस्याओं मसलन पीने का पानी, बुखार से इलाज की व्यवस्था की मांग के साथ विरोध प्रदर्शन किया था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एनएच-22 से होकर जाएंगे, इसी को देखते हुए सड़क किनारे स्थित गांव के लोगों ने रोड का घेराव कर दिया था। पुलिस ने रोड घेराव के कारण ही 19 नामजद और 20 अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।

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गांव के सुरेश कहते हैं, “हम लोग तो पहले से पीड़ित हैं जबकि पुलिस कहती है कि हमने रोड जाम किया। इसलिए केस किया गया है। हम क्या करें! कोई तो हमें देखने आता नहीं है। हमलोगों ने सोचा कि मुख्यमंत्री इस रास्ते से जाएंगे तो उनको रोककर अपना हाल सुनाएंगे। लेकिन वो हेलिकॉप्टर से गए।”

पुलिस ने राजेश सहनी, रामदेव सहनी, उमेश मांझी और लल्लू सहनी को नामजद अभियुक्त बनाया है। इनके बच्चों की मौ-त भी दिमाग़ी बुखार से हुई है। कई लोग पुलिस के डर से गाँव के बाहर रह रहे हैं। एफ़आईआर में 65 वर्षीय एक बुज़ुर्ग शत्रुघ्न सहनी का भी नाम है। शत्रुघ्न सहनी को काफ़ी पहले लकवाग्रस्त हो गए थे। इसकी वजह से न तो वो ठीक से चल फिर पाते हैं और न बोल बाते हैं।

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दिमाग़ी बुखार में अपने दो बेटों को खोने वाले चतुरी सहनी कहते हैं, “सांसद जी आए तो थे। लेकिन क्या हुआ, पता नहीं।” चतुरी के दो ही बेटे थे, दोनों नहीं रहे। वो कहते हैं, “एक ही दिन दोनों चले गए। उसी में 95 हजार खर्च हो गया। किसी तरह गाँव वालों ने कुछ चंदा करके दे दिया। बाक़ी क़र्ज हो गया है। अब चुकाना है।”

भगवानपुर के थाना प्रभारी संजय कुमार ने कहा, “रोड जाम करना एक अपराध है। हमने उसी आधार पर केस दर्ज किया है। ऊपर से आदेश था। बाद में हालांकि हमारे ही कहने पर गाँव वालों ने रास्ता खाली भी किया, लेकिन क़रीब तीन घंटे तक रोड जाम रहा।”

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