वेस्टइंडीज के विस्फोटक बल्लेबाज निकोलस पूरन ने महज 29 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी है। इस अप्रत्याशित फैसले ने क्रिकेट जगत को चौंका दिया है, क्योंकि पूरन अभी भी अपने करियर के शीर्ष पर थे।
पूरन ने अपने आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक भावुक पोस्ट के जरिए यह घोषणा की। उन्होंने लिखा, “इस खेल ने हमें इतनी खुशी दी है, इसने हमें अविस्मरणीय यादें दी हैं। वेस्टइंडीज का प्रतिनिधित्व करना मेरे लिए गर्व की बात है।” उन्होंने अपने परिवार, दोस्तों और प्रशंसकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनके समर्थन से यह यात्रा संभव हो पाई।
पूरन ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में 106 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में 2,275 रन बनाए, जिसमें 13 अर्धशतक शामिल हैं। उन्होंने 149 छक्के लगाए, जिससे वे इस प्रारूप में पांचवें स्थान पर हैं। इसके अलावा उन्होंने 61 वनडे मैचों में 1,983 रन बनाए, जिसमें 3 शतक और 11 अर्धशतक शामिल हैं। उनकी बल्लेबाजी शैली और आक्रामकता ने उन्हें वेस्टइंडीज क्रिकेट का अहम हिस्सा बना दिया।
पूरन ने 2016 में पाकिस्तान के खिलाफ़ टी20I और 2019 में इंग्लैंड के खिलाफ़ वनडे डेब्यू किया था। उन्होंने 2022 में वेस्टइंडीज़ के सीमित ओवरों के कप्तान के रूप में पदभार संभाला, लेकिन 2022 टी20 विश्व कप में टीम के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद उन्होंने कप्तानी छोड़ दी।
हालांकि पूरन ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया है, लेकिन उन्होंने फ्रैंचाइज़ क्रिकेट खेलने की इच्छा जताई है। उन्होंने आईपीएल 2025 में लखनऊ सुपर जायंट्स के लिए शानदार प्रदर्शन करते हुए 525 रन बनाए। उनकी आक्रामक बल्लेबाजी और मैच जिताऊ पारियों ने उन्हें स्टार खिलाड़ी बना दिया।
पूरन के संन्यास की घोषणा ने क्रिकेट जगत में एक नई बहस छेड़ दी है, जिसमें खिलाड़ियों के लिए फ्रैंचाइज़ क्रिकेट की बढ़ती लोकप्रियता और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के प्रति उनकी प्रतिबद्धता पर सवाल उठ रहे हैं। हालांकि, पूरन का यह कदम व्यक्तिगत और पेशेवर कारणों से लगता है।
पूरन का संन्यास वेस्टइंडीज़ क्रिकेट के लिए एक बड़ा झटका है, लेकिन उनकी उपलब्धियों और योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। उनका यह कदम उन युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा जो अपने करियर के फैसले सोच-समझकर लेते हैं।
पूरन के इस फैसले से क्रिकेट जगत में एक नया अध्याय शुरू हो गया है, जहां खिलाड़ियों की प्राथमिकताएं और करियर की दिशा बदल रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भविष्य में और भी खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेकर फ्रेंचाइजी क्रिकेट की ओर रुख करेंगे।
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निष्कर्ष
निकोलस पूरन का महज 29 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेना क्रिकेट जगत के लिए चौंकाने वाला फैसला है। जिस तरह से उन्होंने अपनी बल्लेबाजी से वेस्टइंडीज को कई मैच जिताए, उसे हमेशा याद रखा जाएगा। पूरन का संन्यास इस बदलते क्रिकेट दौर की ओर भी इशारा करता है, जहां खिलाड़ी अब फ्रेंचाइजी क्रिकेट को प्राथमिकता दे रहे हैं। उनके इस फैसले के पीछे भले ही निजी कारण हों, लेकिन इससे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की गंभीरता पर भी सवाल उठते हैं। पूरन भले ही अब वेस्टइंडीज की जर्सी में नजर न आएं, लेकिन दुनियाभर की लीगों में उनका जलवा बरकरार रहेगा। भविष्य के लिए उन्हें शुभकामनाएं और प्रशंसक उन्हें नई भूमिका में देखने के लिए तैयार हैं।