देश के नाम संबोधन में PM नरेंद्र मोदी ने खड़ा कर दिया झूठ का पहाड़, असली मुद्दों पर साध गए चुप्पी

लगभग 38 मिनट के देश के नाम संबोधन में प्रधानमंत्त्री नरेंद्र मोदी ने झूठ का पहाड़ खड़ा कर दिया। देश के नाम संबोधन झूठ बोलने का इस्तेमाल हुआ। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि कश्मीर में दलितों के साथ अ’त्याचार पर कोई कानून नहीं था। उन्होंने कहा कि कश्मीर में दलितों पर खूब अ’त्याचार होते है जिसका कोई समाधान नहीं हो रहा था। भारत में दलितों की स्थिति क्या है किसी को बताने की आवश्यकता नहीं है। गुज़रात के ऊना में दलितों पर गौ ह’त्या का आरोप लगाकर उन्हें बां’धकर पी’टा गया है। प्रधानमंत्री ने इस विषय कुछ नहीं कहा।

हाल ही में सोनभद्र में आदिवासियों का सं’हार हुआ लेकिन पीएम चुप रहे। देश के अलग अलग इलाकों में दलितों के साथ हुए अत्याचार पर प्रधानमंत्री की चुप्पी ऐसी रही जैसे लगा इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हाथ है। रोहित बेमुला की ह’त्या वर्तमान सरकार के हाथों हुई। PM चुप रहे। मजदूरों की हालत कैसे है। दिल्ली के सीवर में कामगार डूब गये। म’र-खप गये। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुप रहे। कश्मीर में रोज़गार देने की बात की और आर्थिक सुधार की भी बात की। देश की आर्थिक हालात रोज बिगड़ते जा रहे है। देश का रोज़गार, संस्थाएं, रेल सेवा, हवाई सेवा, संचार सेवा सब बीते पांच साल में पूरी तरह ध्वस्त हो गया। सुप्रीम कोर्ट, रिज़र्व बैंक, सीबीआई जैसी महत्वपूर्ण संस्था ध्वस्त हो गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुप रहे। दरअसल, यह उनके ही इशारों पर ही हो रहा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन में “निवेश” शब्द कई बार आता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर में स्पोस्ट्स का नाम लिया। लेकिन गुजरात ने कितना शिक्षा का विकास किया, खेल का विकास किया कभी नहीं गिनवाईं। प्रधानमंत्री ने भाषण के अंत में राजकवि प्रसून जोशी की तुकबंदी से भाषण को रसीला बनाने की कोशिश की। बहरहाल, लद्दाख के मेरे दोस्त, जो दिल्ली से फोन किये थे कि तुम भी जमीन लोगे? भारी संख्या में बिहारी मजदुर है। प्रधानमंत्त्री ने देश और सरकार को एक ही बता दिया। इसके अलावा सरदार वल्लभ भाई पटेल, बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर और श्यामा प्रसाद मुखर्जी का नाम लिया। मुख़र्जी के बाबा का नाम आशुतोष है। मेरा नाम आशुतोष बाबा है। कुल मिलाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैसी ही बातें की जो कोई भी कहता। जो वे अक्सर विधान सभा चुनावों के भाषण में बोलते रहते हैं। उन्होंने वहीं बोला जो संसद में अमित शाह दो दिन बोले।

लेखक : आशुतोष कुमार पांडे, वरिष्ठ पत्रकार, आरा(यह लेखक के अपने विचार है, इसे डेली बिहार की सहमति ना माना जाय)

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