पुण्यतिथि: आधुनिक भारत के शिल्पकार की जीवन गाथा, क्या था ख़ास, कैसे थे महान?

“आप तस्वीरों के चेहरे दीवार कि तरफ़ मोड़कर इतिहास नहीं बदल सकते”. नेहरू जी ने पचास के दशक में जब ये बात कही थी तो उस समय ये किसे ज्ञात था कि इक्कीसवीं सदी के नए भारत के बदलते राजनैतिक परिपेक्ष्य में उनका ये कथन एकदम सटीक साबित होगा।
आज आजादी के इतने वर्ष बाद भी पंडित नेहरू के खिलाफ अलग अलग भ्रांतियां फैलाई जाती है लेकिन ये वहीं नेहरू है जिन्होंने गुलामी की बेड़ियों में जकरे हुए भारत में पहली बार 1929 में पूर्ण स्वराज की मांग बुलंद की थी और हिन्दुस्तान कि अवाम को ये भरोसा दिलाया था कि हम आज़ाद होकर रहेंगे।


वो नेहरू ही थे जिन्होंने भारत की आज़ादी का नारा पूरे विश्व रंगमंच पर उठाया जिसके बाद दुनिया के कई देशों ने भारत की आज़ादी के लिए अपना समर्थन दिया।
वो नेहरू ही थे जिन्होंने गांधीजी के आंदोलनों में देश में टुकड़ों में बंटे नेताओ को एकजुट करके अंग्रेजो के खिलाफ लड़ने के लिए लामबंद किया था और वो पंडित जवाहरलाल नेहरू ही थे जिन्होंने बतौर कांग्रेस अध्यक्ष 26 जनवरी 1930 को लाहौर में पहली बार स्वतंत्र भारत का झंडा फहराया था।


तब के इलाहाबद और अभी के प्रयागराज के एक बेहद धनाढ़ कश्मीरी पंडित के घर जन्म लेने वाले नेहरू ने आज़ादी कि लड़ाई में अपने जीवन के पौने दस वर्ष जेल में बिताते हुए जिस त्याग और तपस्या से ग़ुलाम भारत को सींचा और स्वतंत्र भारत कि नींव डाली वो केवल वही कर सकते थे।


नेहरू को जो नया हिन्दुस्तान मिला था वो अंग्रेजो द्वारा लूटा गया एक ऐसा ख़ज़ाना था जिसकी तिज़ोरी तक चोरी हो चुकी थी। आसमान छूती भुखमरी और गरीबी को देख जब दुनिया के दिग्गज अर्थशस्त्रियों और नेताओं ने यह मान लिया था कि भारत बहुत दिनों तक एक देश के रूप में टिक नहीं पाएगा और ना ही वहां लोकतंत्र कायम रह पाएगा तब वह नेहरू की कूटनीतिक ताकत और विलक्षण प्रतिभा का कमाल है कि भारत आज तक अपने लोकतंत्र को बचाते हुए इस बुलंदी तक पहुंच पाया है।


हमारा ये सौभाग्य है कि हमें नेहरू जैसा प्रधानमंत्री मिला जिन्होंने देश को एक नई दिशा प्रदान की। जिन्होंने मंदिर- मस्ज़िद के बजाए देश में आधुनिक उद्योगों की आधार शिला रखी, जिसका फल हम न्यू इंडिया के नाम पर प्रतिदिन अर्जित कर पा रहे है। वो नेहरू ही थे जिन्होंने किसानों को जल की उपलब्धता सुनश्चित करवाने के लिए नदी घाटी परियोजना का प्रारंभ करवाया जिसके तहत कई डैम के निर्माण किए गए। उन्होंने BHEL, SAIL , भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर बनाया, उन्होंने नासा को टक्कर देने के लिए इसरो बनाया,उन्होंने सरहदों पर घेरेबंदी करवाई और भारत की सेना को मजबूत किया।


उन्होंने राजनैतिक और आर्थिक क्षेत्र के अलावा एक शैक्षणिक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करते हुए हिन्दुस्तान को एम्स, आईआईटी, आईआईएम जैसे संस्थान दिए जिससे देश के युवाओं को उच्च शिक्षा प्राप्त हो सके लेकिन शायद हम भारततवासी वॉट्सएप युनिवर्सटी पर यह ज्ञान लेे ही नहीं पाए।


जिन्होंने इस राष्ट्र को उन्नति के शिखर तक पहुंचाया,आज उनके त्याग और परिश्रम की प्रशंसा करने के बजाए हम ये प्रश्न उठाते है कि आखिर उन्होंने किया क्या है?
ख़ैर आप उन्हें नेता माने अथवा नहीं माने, अपने हर राजनैतिक चूक में उनको जिम्मेदार माने अथवा नहीं माने लेकिन मैं आपके निजी मान्यताओं को सलाम करते हुए आधुनिक भारत के शिल्पकार को उनके पुण्यतिथि पर नमन और श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

  • प्रियांशु

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