492 साल बाद जन्मभूमि पर आज से राम मंदिर बनने की शुरुआत, 30 साल 8 महीने 27 दिन बाद फिर शिलान्यास

492 साल बाद अयोध्या में फिर से राम मंदिर बनने जा रहा है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भूमि पूजन करके इसकी शुरुआत करेंगे। वहीं, 30 साल 8 महीने 27 दिन बाद ये दूसरा मौका होगा, जब राम मंदिर के लिए शिलान्यास होगा।

इन 492 सालों में अयोध्या ने कई पड़ाव देखे। मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनी। मस्जिद टूटी फिर बनी, फिर टूटी। 167 साल पहले मंदिर को लेकर पहली बार अयोध्या में हिंसा हुई तो 162 साल पहले इस विवाद में पहली एफआईआर हुई। 135 साल पहले मामला कोर्ट तक पहुंचा और 8 महीने 27 दिन पहले रामलला के पुन: विराजमान होने का सुप्रीम फैसला आया। ये आंकड़े अपने आप में कई कहानियां कहते हैं।

एक लंबी कानूनी लड़ाई की कहानी, सबसे बड़े विवाद की सबसे बड़ी कहानी, आस्था और विश्वास की कहानी, संघर्ष की कहानी, संयोगों की कहानी और न्याय की जीत की कहानी…इस रिपोर्ट में आंकड़ों के जरिए जानिए इन सभी कहानियों को…

1526 में बाबर इब्राहिम लोदी से जंग लड़ने भारत आया था। दो साल बाद 1528 में बाबर के सूबेदार मीरबाकी ने 1528 में अयोध्या में एक मस्जिद बनवाई। बाबर के सम्मान में इसे बाबरी मस्जिद नाम दिया। 330 साल बाद 1558 में इस मस्जिद को लेकर विवाद शुरू हुआ। जब विवादित परिसर में हवन, पूजन करने पर एक एफआईआर हुई।

अयोध्या रिविजिटेड किताब के मुताबिक एक दिसंबर 1858 को अवध के थानेदार शीतल दुबे ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि परिसर में चबूतरा बना है। ये पहला कानूनी दस्तावेज है, जिसमें परिसर के अंदर राम के प्रतीक होने के प्रमाण हैं।

इस घटना के 27 साल बाद मामला कोर्ट पहुंच गया। जब महंत रघुबर दास ने फैजाबाद डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में राम जन्मभूमि पर मंदिर बनाने के लिए याचिका लगाई। कोर्ट ने उनकी याचिका रद्द कर दी। 1886 मेंं फैसले के खिलाफ अपील हुई लेकिन याचिका फिर रद्द हो गई।

1949 में 22-23 दिसंबर को विवादित स्थल पर सेंट्रल डोम के नीचे रामलला की मूर्ति स्थापित की गई। 23 दिसंबर को मामले में एफआईआर हुई। परिसर का गेट लॉक कर दिया गया। नगर महा पालिका अध्यक्ष का विवादित क्षेत्र का रिसीवर बनाया गया। 5 जनवरी को नगर महा पालिका अध्यक्ष प्रिय दत्त राम इसके रिसीवर बने। 1950 में एक बार फिर मामला कोर्ट पहुंचा और 2019 तक ये कानूनी लड़ाई अंजाम पर पहुंची।

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