बिहार में कोरोना का नया रूप, मात्र 4 से पांच घंटे में मर रहे मरीज, डॉक्टर ने दिया चौकाने वाला बयान

कोरोना: ऑक्सीजन की दिक्कत, 6-8 घंटे में म’र रहे मरीज- पूर्वी बिहार के सबसे बड़े अस्पताल के डॉक्टर ने कहा

बिहार में भागलपुर के जिला मजिस्ट्रेट प्रणव कुमार ने 11 जुलाई की रात एडीएम राजेश झा को प्रभार सौंपने का आदेश जारी किया। इसमें कहा गया कि उन्हें कोरोना वायरस की पुष्टि हुई है और इलाज के लिए पटना जाने की सलाह दी गई है। इसके एक दिन बाद एडीएम राजेश झा और जिले के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को भी कोविड-19 की पुष्टि हुई। इससे बिहार में कोरोना के तेजी से बढ़ते मामलों के संकेत मिलते हैं और इस दौरान पटना व भागलपुर इस संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित रहे।

भागलपुर ‘स्मार्ट सिटी’ प्रोजेक्ट और 1,500 से अधिक गांवों वाला एक जिला है, जहां कोरोना संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ रही हैं। बढ़ते मामलों से हॉस्पिटल की व्यवस्था भी प्रभावित हो रही है। आठ जून से जब ‘अनलॉक’ की प्रक्रिया शुरू हुई, तब जिले में 245 मामले थे और एक मरीज की मौत हो गई थी। एक महीने बाद यानी आठ जुलाई को जिले में संक्रमितों की संख्या 693 हो गई है और सात लोगों की मौत हो गई। मुश्किल से छह दिन बाद संक्रमितों की संख्या में 441 मरीजों का इजाफा हुआ ये संख्या 12 लोगों की मौत के साथ 1,134 पर पहुंच गई।

पटना के बाद ये सबसे अधिक मरीजों वाला जिला बन गया। इनमें 625 मरीज ठीक हो चुके हैं और 437 एक्टिव केस हैं। जिले में कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या को देखते हुए जिला प्रशासन ने 9 से 16 जुलाई तक लॉकडाउन की घोषणा भी की। बता दें कि कोरोना मरीजों के लिए समर्पित और पूर्वी बिहार के कई जिलों की सेवा करने वाले जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में बीस से कम कोरोना के गंभीर मरीज हैं और 100 से कम को हॉस्पिटल में भर्ती होने की जरुरत है। दरअसल नियमों के तहत जिन्हें भर्ती होने की आवश्यकता है उन्हें मायागंज हॉस्पिटल ले जाया जाता है जबकि बाकियों को कोविड केयर सेंटर में परिवर्तित जैसे टीचर ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट में ले जाया जाता है।

जेएलएन मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में कोविड-19 आइसोलेशन वार्ड के प्रभारी डॉक्टर हेमशंकर शर्मा ने बीते रविवार को बताया कि करीब इनमें करीब 14-15 मरीजों की हालत गंभीर है। अभी लगभग 76 मरीज हैं जिनमें से कुछ को भर्ती किया जाना है। उन्होंने बताया कि अतिरिक्त बेड की जरुरत पर ध्यान दिया जा रहा है। जेएलएन में 600 बेड हैं, जिनका किसी भी बिंदु पर इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि तीस बेड दो दिनों में तैयार हो जाएंगे। मेडिसिन विभाग में 60 बेड तैयार हो चुके हैं।

डॉक्टर शर्मा के मुताबिक 90 बेड ऑक्सीजन से जुड़े हैं। 60 में एक सेंट्रल पाइपलाइन है और अन्य 30 के लिए हमारे पास 200 सिलिंडर हैं। हालांकि डॉक्टरों ने स्वीकार किया कि पिछले दो से तीन महीने सेंट्रल पाइपलाइन के जरिए बिस्तरों तक ऑक्सीजन पहुंचाने में बाधाएं आईं, क्योंकि लॉकडाउन के चलते कोलकाता से आपूर्ति बंद है।

इधर पिछले महीने कोरोना मृतकों की संख्या 7 से 12 हो गई। इस पर डॉक्टर हेमशंकर शर्मा कहते हैं कि 15 जून से हॉस्पिटल आने वाले मरीजों का स्वरूप बदल गया गया है। पहले मरीज स्टेज फर्स्ट में आते थे जिन्हें हल्की खांसी या बुखार और थोड़ी सांस फूलने की समस्या होती थी। हमने उन्हें थोड़ा ऑक्सीजन दिया और वो ठीक हो गए। मरीज अब 50-60 फीसदी ऑक्सीजन की कमी के साथ आ रहे हैं। छह से आठ घंटों में मरीज मर रहे हैं। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद सामाजिक दूरी और मास्क लगाना लगभग बंद हो गया है। हालांकि मृत्यु दर अभी भी कम है।

डॉक्टर शर्मा कहते हैं कि हम लोगों को होम क्वारंटाइन में भेजने की कोशिश कर रहे हैं। लोगों को लगता है कि हम सिर्फ बेड खाली करवाना चाहते हैं। मगर हमारे पास बेड की कोई समस्या नहीं है।

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