मोदीजी हाई कोर्ट-सुप्रीम कोर्ट में ताला मारिये, योगी जी के एनकाउंटर वाला U.P मॉडल देश भर में लागू हो

कुछ संवैधानिक संस्थाओं पर यह ताला जड़ देना चाहिए । जब इनकी चौखट तक जाना ही नही है तो काहे यह चल रही हैं । जब सब कुछ ऑन द स्पॉट ही तय होना है तो जज और वक़ील दोनों को घर बैठा दिया जाए और उनसे कहा जाए कि कोई दूसरा काम ढूंढ लो भाई ।

संविधान और कानून का कमज़ोर होना किसी भी देश के बिखराव के संकेत होते हैं । अफगानिस्तान में तालिबान ने न्यायालय खत्म करके अपनी सेना से तत्काल न्याय करने को कहा और उसकी नज़र का न्याय ही जनता के लिए अन्याय था । देखिये क्या हालत हो गई उस देश की,स/ज़ाएँ ज़रूरी हैं मगर विधान से

अ/पराधी और रक्षक में यही अंतर होता है कि अप/राधी विधान से बंधा नही होता है और रक्षक विधान तोड़ नही सकता,जैसे ही यह महीन लकीर मिटेगी दोनों का अंतर मिट जाएगा । आज आप हँस लीजिये,खुशियां मना लीजिये,उनकी तफरीह उड़ा लीजिये,जो आपको संविधान और कानून याद दिला रहे हैं मगर उस दिन का भी इंतेज़ार कीजिये जब आपके सामने कोई रक्षक विधान को तिलांजलि देकर आपका ऑन द सपाट फैसला करेगा,यह बहुत जल्द होगा । एक गिरह बाँध लें कि दुनिया का कोई भी अ/पराध ऐसा नही है की जिसकी सज़ा विधान में न हो,अगर इसपर भरोसा नही है, तो यह आपकी कमज़ोरी है, विधान की नही ।

देश संविधान से चलते हैं । शासन कानून से स्थापित होते हैं और न्याय किसी भी शासक को सम्मान दिलाता है । जब हमें अपने विधान,उसे चलाने वाले लोगों,उसमे होने वाली बहसों की ज़रूरत नही तो यह ताला ज़रूरी हो जाता है, पहले बोलने वालों के मुँह पर जड़ा जाए फिर उन संस्थाओं पर भी जड़ दें जिनकी आपको अब ज़रूरत नही….

Hafeez Kidwai

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