लॉकडाउन में रात को घूम रहे थे DM, सिपाही ने पकड़ा तो जमकर लगाई क्लास, मिला इनाम

आपको वह कहावत तो याद ही होगा कि कभी नाव पानी के ऊपर रहता है, तो कभी ना पानी के अंदर में डूब कर रहना पड़ता है। कुछ ऐसा ही नजारा उत्तर प्रदेश के रामपुर में तब देखने को मिला जब एक सिपाही ने लॉक डाउन तोड़ने पर डीएम को जमकर फटकार लगाई। डीएम ने फटकार लगाने के बाद उस सिपाही को सजा देने के बदले उल्टे सबके सामने सम्मानित किया।

पंजाब केसरी में प्रकाशित खबर के अनुसार भले ही जिले का पुलिस कप्तान क्यों न जिलाधिकारी (डीएम) को सैल्यूट ठोकता हो, उसी पुलिस महकमे के एक सिपाही ने ‘डीएम’ को सर-ए-आम आड़े हाथ लेकर हड़का दिया। लॉकडाउन में आधी रात को मोटर साइकिल पर शहर में घूमते पकड़े गए डीएम की सिपाही ने तबियत से ‘क्लास’ ली। सिपाही ने डीएम को लॉकडाउन की अहमियत खुलकर सुनाई समझाई। आधी रात लॉकडाउन का उल्लंघन करने पर कानूनी कार्यवाही और सजा क्या क्या हो सकती है? बेखौफ सिपाही ने डीएम साहब को यह भी मन भर कर सुनाया। डीएम साहब का बड़प्पन यह रहा कि उन्होंने सिपाही द्वारा हड़काए जाने के बाद भी अपनी पहचान नहीं खोली। जैसा सिपाही ने समझाया उसके मुताबिक डीएम साहब ने अपनी मोटर साइकिल वापस की और मौके से चुपचाप चले गए।

यह बात है शुक्रवार को आधी रात के वक्त की। सिपाही से लॉकडाउन का चुपचाप सबक लेने वाले खुद थे रामपुर जिले के डीएम आञ्जनेय कुमार सिंह। वही जिलाधिकारी रामपुर, जिन्होंने कुछ महीने पहले ही यूपी के पूर्व दबंग मंत्री आजम खान को जेल में ठूंस दिया। कोरोना जैसी महामारी त्रासदी में भी कालाबाजारी से बाज न आने वाले जिले में रंगे हाथ पकड़े गए कई मुनाफाखोरों को गिरफ्तार कराके सलाखों में डाल दिया। वही रामपुर डीएम जो कोरोना की कमर तोड़कर रामपुर जिले की जनता को बचाने की लड़ाई में एड़ी चोटी का जोर लगाए हैं। वही डीएम रामपुर जो इस मुश्किल वक्त में भी जो ज्यादा से ज्यादा जनता के बीच रहने के लिए दिन-रात का फर्क भुलाए बैठे हैं।  

  यह सब सुनने में अटपटा लगना स्वाभाविक है। सच मगर यही है। सूत्रों के मुताबिक, जिलाधिकारी ने जिले की तमाम खुफिया सूचनाएं इकट्ठी करने के लिए खुद को तो समर्पित कर ही रखा है साथ ही उन्होंने अपने कुछ विश्वासपात्रों की टीम भी बना रखी है ताकि उन्हें जिले की तमाम महत्वपूर्ण सूचनाएं पाने के लिए सिर्फ और सिर्फ पुलिस के ऊपर ही निर्भर न रहना पड़े। यही वजह थी कि, रात में लॉकडाउन की हकीकत परखने के तेज-तर्रार इस आईएएस ने किसी और को भेजने के बजाए खुद ही ड्यूटी बजाने की सोची।

लॉकडाउन का सच जांचने के लिए परिवार वालों को बताकर जिलाधिकारी आधी रात के वक्त अपने एक कर्मचारी की मोटर साइकिल लेकर खुद ही डीएम आवास से (बंगले) से निकल पड़े। नाइट पेट्रोलिंग में कोई पुलिसकर्मी पहचाने न साथ ही कानून का भी उल्लघंन भी न हो, इसके लिए उन्होंने बाकायदा हेटलमेट लगा लिया। परिजनों के अलावा किसी कर्मचारी को नहीं बताया कि कहां जा रहे हैं। यहां तक कि बंगले की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी भी उनके गेट के बाहर निकलते वक्त नहीं पहचान पाए कि मोटर साइकिल पर डीएम साहब ही निकले हैं बाहर।

  मोटर साइकिल पर सवार होकर जिलाधिकारी रामपुर शहर के ज्वाला नगर, अजितपुर, कोसी नदी पुल, मिस्टन गंज, शाहबाद गेट आदि इलाके घूमते रहे। अपने ही शहर में आधी रात के वक्त लॉकडाउन में जिलाधिकारी मोटर साइकिल से दो घंटे तक घूमते रहे। इस दौरान डीएम को महज दो चेकिंग प्वाइंट पर ही रोका गया। शहर में रात के वक्त किस तरह खुलेआम लॉकडाउन की कुछ जगहों पर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं? यह आंख से देखने और जानने के बाद भी डीएम ने रात में किसी को नहीं टोका। सिर्फ प्वाइंट्स के नाम दिमाग में फीड कर लिए।

शनिवार को रामपुर डीएम आञ्जनेय कुमार सिंह ने कहा, “दरअसल जहां नाइट पेट्रोलिंग में वीक प्वाइंट्स मिले, उन प्वाइंट्स पर मौजूद कर्मचारियों या सेक्टर मजिस्ट्रेट्स को मैंने जानबूझ कर उस वक्त नहीं पकड़ा। अगर किसी को टोकता तो मेरे रात में मोटर साइकिल से शहर में घूमने का मकसद ही खत्म हो जाता। हां, सुबह मैंने उन प्वांइट्स के स्टाफ को बुलाकर आगे से अलर्ट रहने की चेतावनी दी।”

  आधी रात को मोटर साइकिल पर लॉकडाउन में घूम रहे डीएम को सिपाही द्वारा हड़काया या पकड़ा जाना आपको नागवार नहीं गुजरा? पूछे जाने पर जिलाधिकारी सिंह ने कहा, “नहीं बिल्कुल नहीं। असली और सच्चा तो सही मायने में सिपाही ही सरकारी मुलाजिम निकला। जिसने एलआईसी चौराहे पर मुझे रोक लिया। बाकायदा उसने मुझे लॉकडाउन की अहमियत समझाई। साथ ही आईंदा लॉकडाउन का सख्ती से पालन करने को भी कहा।”

रामपुर डीएम ने कहा, “सुबह मैंने सबसे पहले उसी मोहित सिपाही को कलेक्ट्रेट में बुलवाया जिसने मुझे रात में समझाया था कि लॉकडाउन की क्या अहमियत है। मैंने उसे शाबासी और प्रमाण पत्र दिया। ताकि जिले में तैनात अन्य सरकारी कर्मचारियों में भी ईमानदारी और मेहनत से काम करने का जज्बा पैदा हो सके।”

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