बिहार में 80,000 करोड़ा का घोटाला, सीएजी ने उठाया सवाल, खर्च का हिसाब नहीं दे रही सरकार

PATNA : सीएजी ने उठाया सवाल-80 हजार करोड़ रु. के खर्च का हिसाब नहीं दे रहे विभाग, सदन में सीएजी रिपोर्ट पेश : 9 साल का उपयोगिता प्रमाण पत्र लंबित, सरकार को राजस्व की कमी और पीडी खाते में पड़े हैं 4377 करोड़ : राज्य का बजट आकार लगातार बढ़ता जा रहा है, लेकिन उसकी तुलना में खर्च कम हो रही है। विभागों द्वारा जो खर्च किया भी जा रहा है उसका हिसाब देने में संबंधित विभाग आनाकानी कर रहा है। इससे गड़बड़ी की संभावना बढ़ती। नियंत्रक महालेखापरीक्षक (सीएजी) ने वित्तीय वर्ष 2019-20 की अपनी रिपोर्ट में कहा कि लगभग 80 हजार करोड़ रुपए का खर्च का हिसाब सरकार नहीं दे रही है।

यह राशि वित्तीय वर्ष 2011 से 2020 के बीच की है। यह राशि साल दर साल बढ़ती जा रही है। यानी सरकार इतनी राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र अभी तक जमा नहीं की है।सीएजी ने लंबित उपयोगिता प्रमाण पत्र से राशि का दुरुपयोग और गबन की संभावना बढ़ने की तरफ इशारा किया है। 31 मार्च 2019 तक 58242 करोड़ का उपयोगिता प्रमाण पत्र बकाया था, जो 31 मार्च 2020 तक बढ़कर 79691 करोड़ रुपया हो गया। वित्तीय वर्ष में 2019-20 में 21448 करोड़ का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिया गया है। विधानसभा में गुरुवार को उपमुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री तारकिशोर प्रसाद ने सीएजी की रिपोर्ट सदन के पटल पर रखा।

सरकार को राजस्व की कमी और पीडी खाते में पड़े हैं 4377 करोड़
बिहार जैसे राज्यों में खुद के राजस्व की कमी रहती है। लेकिन राज्य के 175 पीडी खाते (पसर्नल डिपोजिट खाते) 4377 करोड़ हैं। चार साल से 9 पीडी खाते में करीब 66 करोड़ रुपए, पड़े हुए हंै। इस राशि को राज्य के समेकित निधि में जमा किया जाना चाहिए। पीएल खातों में भी 35 करोड से अधिक राशि पड़ी हुई है।

लंबित प्रमाण पत्र वाले 5 टॉप विभाग
लंबित उपयोगिता प्रमाण पत्र वाले टॉप पांच विभाग है। जिसमें मुख्य रूप से पंचायती राज विभाग, शिक्षा विभाग, समाज कल्याण विभाग, ग्रामीण विकास विभाग व नगर विकास एवं आवास विभाग प्रमुख है।

विभाग राशि (करोड़)-पंचायती राज विभाग 16915-शिक्षा विभाग 15158-समाज कल्याण विभाग 12613-ग्रामीण विभाग विभाग 8808-नगर विकास एवं आवास विभाग 8313

लंबित उपयोगिता प्रमाण पत्रों का वर्षवार ब्योरा- वर्ष पत्र संख्या राशि
2010-11 336 3239
2011-12 148 1513
2012-13 175 1400
2013-14 219 1364
2014-15 179 2556
2015-16 203 2968
2016-17 186 4892
2017-18 301 13015
2018-19 516 27293
2019-20 327 21449

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