चीन-इटली को अमेरिका ने छोड़ा पीछे, कोरोना संक्रमित मामले मे बना नंबर वन देश

कोरोना संक्रमित मरीजों के मामले में अब अमेरिका दुनिया में पहले नम्बर पर पहुंच गया है, इस वक़्त वहां 85 हजार से अधिक कोरोना संक्रमित मरीज हैं। चीन में भी 81 हजार मरीज ही मिले हैं। अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि यहां इतने पेशेंट इसलिये मिले हैं, क्योंकि उनके देश में 5.5 लाख से अधिक टेस्ट हुए हैं। अमेरिका का पूरा जोर इस बात पर है कि जितना अधिक टेस्ट हो, वे कराएंगे और मरीजों की पहचान कर उनका इलाज करवाएंगे। इस स्थिति में भी उनका टारगेट गुड फ्राई डे (10 अप्रैल) तक देश का लॉक डाउन खोल देने का। हालांकि इसकी बहुत आलोचना भी हो रही है।

मगर इस परिस्थिति से हमलोग क्या सीख सकते हैं। निश्चित तौर पर हमारे देश में आबादी के हिसाब से बहुत कम टेस्ट हुए हैं। 22 हजार से कुछ अधिक। मगर एक बात जो मुझे अभी भी आशान्वित करती है कि अभी भी अपने देश में 100 टेस्ट में 3-4 ही पॉजिटिव मिल रहे हैं। जबकि अमेरिका में वह आंकड़ा इतना अधिक टेस्ट कराने के बाद भी 13 या 14 है। यह आंकड़ा अगर भारत में प्रति सौ टेस्ट 14-15 पहुंच जाए तभी घबराना चाहिये। यानी अभी हमारे यहां संक्रमण वैसा नहीं है, जैसा अमेरिका और यूरोप के मुल्कों में है। पिछले एक हफ्ते से रोज 70-80 पेशेंट ही मिल रहे हैं। यानी स्थिति कंट्रोल ही है।

अब सवाल यह है कि अभी जो टेस्ट अपने देश में हो रहे हैं, क्या वे असली संदिग्धों के हो रहे हैं, या उसमें किसी तरह का भेदभाव है। जैसे बिहार में टेस्ट का सेंटर पटना है तो कहीं ऐसा तो नहीं कि ज्यादातर टेस्ट पटना वालों के हो रहे हैं, दूर दराज के जिले वाले छूट जा रहे हैं? बिहार में गोपालगंज, सीवान, दरभंगा, गया आदि ऐसे इलाके हैं जहाँ कोरोना का प्रकोप सर्वाधिक होने की संभावना है। खबर तो है कि RMRI की टीम वहां भी जा रही है। मगर वह कितना प्रभावी है यह देखना होगा।

बहरहाल यह सच है कि तैयारी में हम थोड़े पिछड़ गए, मगर अभी भी ईश्वर ने हमें तैयारी का थोड़ा वक्त दिया है। टेस्ट किट के बारे में सरकार को गंभीरता से सोचना चाहिये। भारत में भी कई जगह वैज्ञानिकों ने सस्ते किट तैयार किये हैं, उन्हें परख कर उत्पादन करवाने के बारे में विचार करना चाहिये। वेंटीलेटर की संख्या बढ़े। मास्क और पीपीई के लिये युद्ध स्तर पर प्रयास हो। बाकी लॉक डाउन में लोगों की मुसीबतें कम करने का प्रयास मेरी नजर में अब तक सराहनीय है। ध्यान रखना चाहिये कि अपना देश बड़ा है, यहां कोई भी काम कई जटिलताओं से गुजर कर होता है।
-PUSHYA MITRA

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