बिहार में 2 महीने बाद दस्तक देगी कोरोना की तीसरी लहर, एक्सपर्ट ने कहा-अभी से तैयार होने की जरूरत

कोरोना की दूसरी लहर ने बिहार में कहर बरपा रखा है। हाल ये है कि प्रदेश के अस्पतालों में ऑक्सिजन से लेकर बेड तक की किल्लत हो चुकी है। सरकारी आंकड़े ही रोज 50 से ज्यादा लोगों की मौत की पुष्टि कर रहे हैं। इसी बीच बिहार को लेकर एक्सपर्ट्स ने एक बड़ी आशंका जाहिर कर दी है। विशेषज्ञों के मुताबिक बिहार में दो से तीन महीने बाद कोरोना की तीसरी लहर दस्तक दे सकती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने तीसरी लहर के बारे में चर्चा शुरू कर दी है। दावा है कि दो से तीन महीने बाद तीसरी लहर राज्य में आ सकती है।

इससे पहले पिछली बार पहली लहर के एकदम कम होने के 6 महीने बाद दूसरी लहर ने बिहार में दस्तक दी थी। उसके बाद हालात किस कदर बिगड़े ये बताने की जरुरत नहीं। लेकिन इस बार दूसरी लहर में वायरस की आक्रामकता और संक्रमण की गंभीरता देखते हुए तीसरी लहर दूसरी लहर के मुकाबले कम समय में ही आने की आशंका है।

तीसरी लहर की स्ट्रेन के बारे में कुछ कहना मुश्किल- एक्सपर्ट : पटना विश्वविद्यालय में बायोटेक्नोलॉजी के प्रोफेसर बीरेंद्र प्रसाद के मुताबिक ‘तीसरी लहर की ताकत इसके डीएनए में बदलाव पर निर्भर करेगी। वायरस के हाल ही में विकसित म्यूटेंट पहले वाले की तुलना में अधिक संक्रामक हैं। लेकिन ये अभी तय नहीं है कि तीसरी लहर में कोरोना का स्ट्रेन कैसा होगा।’

प्रसाद के मुताबिक ‘जब राज्य में दूसरी लहर नीचे जाने का ट्रेंड दिखाने लगेगी उसके दो से तीन महीने बाद वायरस के नए वेरिएंट बिहार में पहुंच सकते हैं। हालांकि दूसरी लहर के दौरान लोगों में बनी एंटीबॉडी या हर्ड इम्यूनिटी से तीसरी लहर के खतरनाक होने की संभावना फिलहाल कम ही है। वहीं कोरोना के नए वेरिएंट ज्यादा नुकसान इसलिए भी नहीं पहुंचा पाएंगे क्योंकि तब तक राज्य में अधिकांश लोगों को टीका लगाया जा चुका होगा।

बिहार में अगस्त में आ सकती है तीसरी लहर- विशेषज्ञ : मशहूर डॉक्टर और महामारी जनित रोगों के विशेषज्ञ डॉक्टर अरुण शाह के मुताबिक ‘विशाल जनसंख्या के वायरस से संक्रमित होने के कारण कोविड संक्रमण की तीसरी लहर का आना तय है। सबसे अधिक संभावना है कि ये अगस्त में बिहार में दस्तक दे देगा।’

तीसरी लहर से बच्चों को ज्यादा खतरे की संभावना- एक्सपर्ट : डॉक्टर शाह के मुताबिक ‘देश में कोविड संक्रमण का अपने चरम पर पहुंचने का कोई एक समान पैटर्न नहीं है। दूसरी लहर ने कुछ राज्यों में शुरुआत में ही दम तोड़ दिया, लेकिन इसने अन्य राज्यों को काफी देर से छुआ। नतीजा, विभिन्न राज्यों में अलग-अलग समय में संक्रमण की पीक को देखा गया।’

डॉक्टर शाह ने आगाह किया है कि ‘तीसरी लहर बच्चों के लिए अधिक संक्रामक होने की संभावना है और इसलिए, उन्हें नए वेरिएंट के संपर्क में आने से बचाने के प्रयास किए जाने चाहिए। इस बीच में सभी वयस्कों को टीका लगाना बेहद जरूरी है। केवल टीकाकरण ही संक्रमण के बढ़ते ग्राफ को नीचे ला सकता है और राज्य में मृत्यु दर को भी कम कर सकता है।’

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