बिहार सरकार की साझेदारी में पैसे लगा सकेंगी निजी कंपनियां

Patna:बिहार में देश-दुनिया की नामचीन कंपनियां अब सरकार के सार्वजनिक उपक्रमों (पीएसयू) के साथ साझा उद्योग लगा सकेंगी. खासतौर से सर्विस सेक्टर के लिए राज्य सरकार दरवाजे खोलने जा रही है ताकि निवेश के साथ बड़े पैमाने पर राज्य में रोजगार सृजन हो सके.

फिलहाल चुनिंदा सेक्टरों के लिए यह पहल होने की उम्मीद है. इसमें ऑटोमोबाइल, कृषि संयंत्र, मेडिकल उपकरण, वस्त्र निर्माण और खाद्य प्रसंस्करण जैसे क्षेत्र शामिल हैं. इसे औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति में होने वाले संशोधन के मसौदे में शामिल किया गया है. इस मसौदे को अंतिम मंजूरी मिलने पर सरकार की साझेदारी में निजी क्षेत्र की कंपनियां भी धन लगा सकेंगी.

राज्य में निवेश को आकर्षित करने के लिए इन दिनों औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति को और आकर्षक बनाने की कवायद चल रही है. इसमें निवेश की संभावना और रोजगार सृजन के साथ ही चीनी उत्पादों पर निर्भरता कम करने पर भी फोकस है. राज्य सरकार के पीएसयू के साथ संयुक्त निवेश के द्वार खोलने का फैसला बेहद अहम हो सकता है.

दरअसल निवेश आमंत्रण के पिछले अनुभव कड़वे रहे हैं. उद्योग लगाने पर तमाम सुविधाओं और राज्य में सड़क, बिजली, पानी की पर्याप्त उपलब्धता के बावजूद भी निवेशक यहां आने को राजी नहीं हो पा रहे थे. ऐसे में सरकारी उपक्रम संग साझेदारी में निवेश बाहरी लोगों में विश्वास भी पैदा करेगा. चीन सहित बाहरी लोगों पर निर्भरता भी खत्म होगी.

कई सार्वजनिक उपक्रम
कृषि प्रधान राज्य में खेती में प्रयोग होने वाले तमाम उपकरण चीन या दूसरे देशों से ही आ रहे हैं. राज्य में उत्पादन शुरू होने पर ऐसा नहीं होगा. मेडिकल सुविधाओं में भी राज्य को अभी काफी सफर तय करना है. अस्पताल व टेस्टिंग लैब तो पहले से औद्योगिक नीति का हिस्सा थे. अब मेडिकल उपकरण बनाने वाली कंपनियों के लिए भी द्वार खोले जा रहे हैं. राज्य में मक्का, धान, सब्जियां, आम, लीची, मखाना सहित कई अन्य चीजें पर्याप्त मात्रा में पैदा होती हैं. ऐसे में बड़ी कंपनियों की आमद से बिहार फूड प्रोसेसिंग का हब बन सकता है. बिहार की खादी और सिल्क शानदार हैं. बड़ी कंपनियों का निवेश होने पर इनकी धमक और चमक देश-दुनियां में बिखरेगी.

ऑटोमोबाइल क्षेत्र के लिए रास्ता खोलने से बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन भी होगा. पूर्व में भी ऑटोमोबाइल क्षेत्र की अग्रणी कंपनी मारुति यहां ऑटो पार्ट्स बनाने की फैक्ट्री लगाने की इच्छुक थी. मगर सेवा क्षेत्र औद्योगिक नीति में प्राथमिकता सूची में शामिल न होने के कारण जमीन नहीं मिल सकी थी.

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