BIHAR : साइकिल पर घूम-घूम कर कपड़ा बेचने वाले का बेटा बना IAS, कोचिंग पढ़े बिना पास किया UPSC

पिता ने घूम-घूमकर कपड़े बेच पढ़ाया, बेटे ने बिना कोचिंग पास की UPSC परीक्षा : आज हम आपको बिहार के एक ऐसे लड़के की कहानी बताने जा रहे हैं जिसका जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था. उसके पापा साइकिल पर कपड़ा लेकर घर-घर जाकर बचा करती थी. ऐसा काम करने वाले को फ्री वाला कहा जाता है. लेकिन अगर बिहार की बात करें तो यहां ग्रामीण क्षेत्रों में उसे बेकाली कहा जाता है. पापा ने मेहनत कर दो पैसे कमाए और बेटे को पढ़ाया लिखाया. तू वही बेटे ने भी पापा के सपने को साकार किया और यूपीएससी परीक्षा पास कर आईएएस अधिकारी बन गया. हैरान करने वाली बात यह है कि पैसा नहीं होने के कारण वह लड़का कोचिंग तक नहीं पढ़ पाया सिर्फ सेल्फ स्टडी के माध्यम से उसने सफलता का परचम लहरा दिया. तो लिए शुरू करते हैं उसे लड़के की कहानी….

पिता का संघर्ष, आर्थिक तंगी और मन में कुछ कर गुज़रने की चाह ने बिहार के किशनगंज के रहने वाले अनिल बसाक को ऑफिसर बनने के लिए प्रेरित किया और गांव-गांव, गली-गली घूमकर कपड़े बेचने वाले पिता विनोद बसाक के बेटे ने यूपीएससी परीक्षा न सिर्फ पास की, बल्कि 45वीं रैंक भी हासिल की।

अनिल ने काफी कम उम्र से ही कई तरह की परेशानियां देखी थीं। कभी घर में खाने को कुछ नहीं होता, तो कभी स्कूल तक पहुंच पाना भी मुश्किल हो जाता। लेकिन अनिल रुकने वाले नहीं थे। सारी परेशानियों से लड़ते हुए अनिल ने जमकर मेहनत की और 12वीं पास कर, जेईई की तैयारी में लग गए। जल्द ही उनकी मेहनत रंग लाई और उन्हें IIT दिल्ली में दाखिला मिल गया।

दिल्ली में सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने यूपीएससी की तैयारी करने के लिए कोचिंग ज्वाइन की। पहली बार जब अनिल ने UPSC परीक्षा दी तो वह फेल हो गए। हालांकि, उन्होंने दूसरे प्रयास में 616वीं रैंक के साथ परीक्षा पास कर ली थी।

लेकिन वह इससे खुश नहीं थे, इसलिए उन्होंने अपनी तैयारी को जारी रखने का फैसला किया। अब परेशानी यह थी कि पढ़ाई पर पहले ही बहुत पैसे खर्च हो चुके थे, ऐसे में कोचिंग की महंगी फीस भरना मुश्किल था। तब उन्होंने 2018 के बाद कोचिंग छोड़कर खुद से ही तैयारी करनी शुरू की और ऐसी तैयारी की कि तीसरी कोशिश में उन्होंने न सिर्फ परीक्षा पास की 616वीं रैंक से सीधा 45वीं रैंक पर पहुंच गए और IAs अफसर बनने का सपना पूरा किया। 

सचमुच अनिल बसाक जैसे लोगों को देखकर लगता है कि परिस्थितियां कभी भी पुरुषार्थ से बलवान नहीं हो सकतीं। बस मेहनत लगातार चलती रहनी चाहिए और खुद पर पूरा भरोसा होना चाहिए।

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