बिहार सरकार की बेशर्मी, कहा- कोरोना से बिहार में दिल्ली-मुम्बई से कम लोग मर रहे हैं

कोर्ट ने कहा – नागरिकों की मौत की तुलना नहीं हो सकती, एडवोकेट जनरल बोले-बिहार में महाराष्ट्र-केरल से कम मौतें, हाईकोर्ट ने कहा- हिदायत के बावजूद कोरोना मरीजों के इलाज की नहीं सुधर रही है स्थिति : राज्य में लॉकडाउन की घोषणा के बाद भी कोर्ट का सरकार के प्रति कड़ा रुख बरकरार रहा। मंगलवार को जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह व जस्टिस मोहित कुमार शाह की खंडपीठ ने शिवानी कौशिक व अन्य की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कहा कि कोर्ट को अब कठोर कदम उठाने के सिवा कोई दूसरा विकल्प नहीं दिखता।

खंडपीठ ने आर्म्ड फोर्स मेडिकल कॉलेज, पुणे के डॉक्टरों की टीम से मदद लेने का भी जिक्र किया। खंडपीठ के इस कथन पर महाधिवक्ता ललित किशोर ने आपत्ति जताई और कहा कि सरकार महामारी से युद्ध स्तर पर निपट रही है। हर दिन सरकार कोविड मरीजों के लिए ऑक्सीजन व बेड बढ़ाने में जुटी हुई। उन्होंने महाराष्ट्र और केरल में कोरोना संक्रमण और उससे हुई मौतों की तुलना बिहार से की और कहा कि उन दोनों राज्य में अधिक संसाधन होते हुए भी बिहार से ज्यादा मौतें हुई हैं। महाधिवक्ता के इस तर्क पर नाराज खंडपीठ ने साफ कहा कि नागरिकों की मौत की कोई तुलना नहीं हो सकती।

एम्स में कोविड मरीजों के लिए 390 बेड, 60 आईसीयू
पटना एम्स में कोविड मरीजों के लिए कुल 390 बेड हैं। इनमें 60 बेड अाईसीयू में हैं। मंगलवार काे हाईकाेर्ट में एम्स के वकील विनय पांडेय ने बताया कि इसके अलावा 137 बेड कोविड सस्पेक्टेड अन्य के लिए हैं।

व्यवस्था की कमियां बताने वालों को शोकॉज क्यों?
खंडपीठ ने कहा कि व्यवस्था की कमियां बताने वालों को शोकॉज देकर सरकार भयादोहन करना चाहती है। यह कोर्ट को कतई मंजूर नहीं है। महाधिवक्ता ने 3 अप्रैल को बात रखी थी।

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