पिता ने चाय की रेहड़ी लगाकर बेटे को पढ़ाया, upsc परीक्षा में 149वीं रैंक हासिल कर बना IAS अधिकारी

यूपीएससी परीक्षा देश की उन चुनिंदा परिक्षाओं में से एक है जिसमें आप कड़ी मेहनत और लगन की बदौलत सफलता हासिल कर सकते हैं. इस परीक्षा में आपके आर्थिक, समाजिक हालात कैसे हैं ये ज्यादा मायने नहीं रखते हैं. आज हम आपको जिस आईएएस अधिकारी के बारे में बताने जा रहे हैं वो एक ऐसे परिवार से ताल्लुक रखते हैं जिनका परिवार चाय की एक रेहड़ी लगाकर अपना गुजारा करता था. इस आईएएस अधिकारी का नाम सौरभ स्वामी है.

जिन्होंने देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक यूपीएससी परीक्षा में ना सिर्फ सफलता हासिल की बल्कि अच्छी खासी रैंक हासिल कर आईएएस अधिकारी भी बन गए. बेटे की सफलता पर ना सिर्फ उनके पिता बहुत खुश हैं बल्कि उनके गांव में खुशी का जश्न मनाया जा रहा है. आइए जानते हैं सौरभ स्वामी ने कैसे यूपीएससी परीक्षा में आर्थिक चुनौतियों और बुनियादी जरूरतों का सामना करते हुए सफलता हासिल की.

राजस्थान के भिवानी जिले में दादरी कस्बे रहने वाले सौरभ स्वामी एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनके पिता का नाम अशोक स्वामी है. पिता दादरी कस्बे में चाय की रेहड़ी लगाकर परिवार का भरण पोषण करते हैं. एक साक्षात्कार में सौरभ के पिता ने बताया था कि चाय की रेहड़ी लगाने के पहले वो सिर्फ रोटी के सहारे हलवाई की दुकान में काम करते थे. बाद में उन्होंने कुछ पैसों का किसी तरह से इंतेजाम किया और एक रेहड़ी खरीदकर उससे चाय बेचने लगे. भले ही अशोक आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे लेकिन उनका सपना था कि बेटा बड़ा अधिकारी बने. पिता के सपनों को साकार करने और परिवार की आर्थिक स्थिति को सही करने के लिए सौरभ ने बचपन से ही मेहनत से पढ़ाई करना शुरू कर दिया था.

उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई भिवानी के एपीजे स्कूल से पूरी की. पढ़ाई में ठीक होने के कारण उन्होंने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा अच्छे अंक हासिल किए. स्कूली शिक्षा हासिल करने के बाद वो ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए दिल्ली आ गए. यहां उन्होंने भारतीय विद्यापीठ विश्वविद्य़ालय में बीटेक की डिग्री हासिल की. पढ़ाई में अच्छा होने के कारण सौरभ को ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद साल 2011 में बीएचईएल (भारत इलेक्ट्रॉनिक्स) में अच्छे पद पर नौकरी मिल गई. ऊंचे पद पर नौकरी मिलने के बाद भी सौरभ पूरी तरह से संतुष्ट नहीं थे. वो सिविल सेवा में नौकरी कर अपने पिता का सपना पूरा करना चाहते थे. पिता का सपना पूरा करने और देश के लिए कुछ अच्छा करने की चाह से उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी.

सौरभ बताते हैं कि जिस दौरान वो इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे उसी समय उन्होंने यूपीएससी परीक्षा के लिए प्लान कर लिया था. इंजीनियरिंग करने के बाद उन्होंने नौकरी करते हुए यूपीएससी परीक्षा की तैयारी जारी की थी. उन्होंने अपनी नौकरी से 3 महीने की छुट्टी लेकर यूपीएससी की तैयारी की. इस दौरान उन्होंने 17-18 घंटों की पढ़ाई की.

वो कहते हैं कि समसामायिक मुद्दों और बेसिक नॉलेज उनको पहले से ही थी. इसके बाद भी उन्होंने दिल्ली जाकर एक कोचिंग में दाखिला ले लिया था. एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया था कि पहले उनको सरकारी नौकरी का ज्यादा अंदाजा नहीं था लेकिन भेल, सेल और इसरो की तैयारी करते हुए उनके बेसिक समझ हो गई थी.

सौरभ स्वामी की कड़ी मेहनत और लगन का नतीजा बहुत जल्द ही आ गया. उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल कर ली. इस परीक्षा में उन्होंने 149वीं रैंक लाकर अपने पिता का सपना पूरा कर दिया. उन्हें राजस्थान कैडर मिला हुआ है. सौरभ ने गंगानगर के प्रतापगढ़ जिले में काम किया। हालांकि अभी वो राजस्थान के प्राथमिक शिक्षा निदेशालय और सेकेंडरी शिक्षा निदेशालय के डायरेक्टर की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं

उनकी इस सफलता से पिता बहुत खुश हैं वो कहते हैं कि एक समय वो था जब बेटे को बाजरे की रोटी खाकर गुजारा करना पड़ता था. परिवार में आर्थिक तंगी इतनी ज्यादा थी कि कभी कभी वो भी नसीब नहीं हो पाती थी. लेकिन आज बेटे ने आईएएस अधिकारी बनकर परिवार का नाम रोशन कर दिया है.

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