ह’रामी निकला चीन, हमने मा’रे 43 चीनी सैनिक, भारत मां के 20 सिपाही हुए श’हीद, बार्डर पर त’नाव

लद्दाख की गलवान घाटी में भारत अाैर चीन के बीच 42 दिन से जारी तनाव साेमवार अाधी रात खू/न से रं/ग गया। भारतीय इलाके में कब्जा जमाकर बैठे चीनी सैनिकाें ने भारतीय सैनिकाें पर रात के वक्त राॅ/ड अाैर प/त्थराें से ह/मला किया। इसमें भारतीय सेना के कर्नल रैंक के कमांडिंग अाॅफिसर समेत 20 जवान शहीद हाे गए। सरकारी सूत्रों ने बताया कि 43 चीनी सैनिक मा/रे गए हैं या घायल हैं। चीन के सरकारी अखबार ग्लाेबल टाइम्स के संपादक हू शिजिन ने भी इसकी पुष्टि की है। हालांकि, चीन ने मा/रे जाने वाले अपने सैनिकों की संख्या पर चुप्पी साध ली है।

भारत-चीन सीमा पर 1975 के बाद 45 साल में पहली बार जवान शहीद हुए हैं। सेना के अनुसार, गलवान से सैनिकाें की संख्या कम करने की प्रक्रिया के दाैरान हिंसा हुई। झड़प में गाे/ली नहीं चली। इसी बीच, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विदेश मंत्री एस जयशंकर, चीफ अाॅफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत अाैर तीनाें सेनाअाें के प्रमुखाें के साथ बैठक की। उन्हाेंने प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी काे भी हालात की जानकारी दी। एलएसी पर हुए घटनाक्रम के बाद सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने पठानकाेट का दाैरा रद्द कर दिया। बता दें कि पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी सहित कुछ अन्य इलाकाें में भारत अाैर चीन के सैनिक अामने-सामने हैं। सेना प्रमुख नरवणे ने कुछ दिन पहले ही कहा था कि दाेनाें पक्षाें के सैनिक गलवान घाटी से पीछे हट रहे हैं।

सैन्य सूत्राें ने बताया कि साेमवार रात की खू/नी झ/ड़प के बाद मंगलवार सुबह दाेनाें देशाें के सैन्य अधिकारियाें के बीच तनाव घटाने के लिए एक बार फिर बातचीत हुई। मेजर जनरल रैंक के अधिकारियाें ने घटनास्थल पर ही बातचीत की। दूसरी ओर गलवान नदी में गिरे सैनिकों के शवों को निकाला जा रहा था। अधिकारियाें ने संकेत दिए कि हालात स्थिर बनाने की प्रक्रिया चल रही है। भारत की अाेर से मेजर जनरल अभिजीत बापट इस बैठक में शामिल हुए।

चीन ने एलएसी की स्थिति बदलने की कोशिश की: विदेश मंत्रालय
भारत ने हिं/सक ट/कराव के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीनी पक्ष ने एकतरफा ढंग से एलएसी की स्थिति बदलने की कोशिश की। चीनी सैनिकाें ने उच्च स्तरीय सहमति का पालन किया होता तो यह घटना नहीं होती। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि भारत अाैर चीन पूर्वी लद्दाख में तनाव घटाने के लिए सैन्य और कूटनीतिक चैनलों के जरिए बात कर रहे थे। हम उम्मीद कर रहे थे कि यह सब सुचारू रूप से हो जाएगा, पर चीनी पक्ष गलवान घाटी से एलएसी का सम्मान करने की सहमति से हट गया।

यह ह/मला सुनियोजित है, चीन के राजनीतिक नेतृत्व के इशारे पर किया गयाक्या यह घटना चीनी नेतृत्व के इशारे पर हुई है? : चीन के लोकल कमांडरों ने राजनीतिक नेतृत्व के इशारे पर ही इतनी बड़ी घटना की। यह उकसावे का नतीजा नहीं हो सकता। दोनों पक्षाें में सेना पीछे हटने का समझौता हुआ था। भारतीय कमांडर चीनी सेना के पीछे हटने की निगरानी कर रहे थे। चीनी नेतृत्व ने संदेश देना चाहा कि यह एकतरफा कार्रवाई नहीं है। हिंसा की यह घटना खुद को विजेता दिखाने की चाल है।

चीन ने ट/कराव के लिए यही समय क्यों चुना? : चीन दुनिया को अपनी ताकत का संदेश देना चाहता है। वह दिखाना चाहता है कि कोरोना से उसका कुछ नहीं बिगड़ा है। उसकी अर्थव्यवस्था इतनी मजबूत है कि वह किसी भी ताकत से टकरा सकता है।

ताे ताकत दिखाने के लिए भारत काे ही क्याें चुना? : कई कारण हैं। अमेरिका ने जी-7 का दायरा बढ़ाकर भारत काे शामिल करने का फैसला किया है। अमेरिका-भारत के प्रगाढ़ होते रिश्तों से चीन हताश है। एफडीआई पॉलिसी में किए गए बदलाव से भी चीन खफा है। हांगकांग और ताइवान को लेकर हो रही फजीहत से चीनी सरकार कुंठित है। वह घरेलू मोर्चे पर बढ़ते राजनीतिक तनाव से ध्यान हटाना चाहती है।

इस आक्रमण के पीछे चीन का मकसद क्या है? : यह जताना कि वह सीमा लांघकर पूरा खेल बदल सकता है, लिहाजा भारत अमेरिका के साथ न खड़ा हो। वह आसपास के इलाके में मनमानी करना चाहता है। दक्षिण चीन सागर, ताइवान, हांगकांग और सबसे अधिक भारत को चोट पहुंचाकर दुनियाभर में ताकत का इजहार करना उसका मकसद है। साथ ही वह चीन विराेधी ताकताें काे भी एक संदेश देना चाहता है।

भारतीय इलाके में चीनी सैनिक : भारत ने तय किया है कि सीमांत क्षेत्रों में ढांचागत विकास को लेकर चीन की आपत्तियां स्वीकार नहीं की जाएंगी। इस काम में तेजी लाई जाएगी। गैर विवादित क्षेत्राें में ढांचागत निर्माण रोका नहीं जाएगा। गलवान घाटी में तैनात एक वरिष्ठ अफसर ने आंखों देखा हाल बताया। उन्होंने कहा- ‘गलवान घाटी में सोमवार शाम 4 बजे से रात 12 बजे तक हिंसा हुई। 6 जून को सहमति बनी थी कि चीनी सैनिक भारतीय क्षेत्र से पीछे हटेंगे। उन्हें पोस्ट-1 पर जाना था। लग रहा था कि चीनी सैनिक समझौते का पालन कर रहे हैं।

कमांडिंग आॅफिसर कर्नल बाबू 10 सैनिक के साथ पैट्रोल पाॅइंट-14 के पास चीनी सैनिकों के लाैटने की निगरानी कर रहे थे। वहां करीब 20 चीनी सैनिक थे। उन्होंने अचानक कर्नल बाबू पर हमला कर दिया। भारतीय टुकड़ी एकाएक हुए इस हमले के लिए तैयार नहीं थी। चीनियाें ने कर्नल को गिराकर राॅड से वार किए। तभी 800 चीनी सैनिक जमा हाे गए। भारतीय सैनिक भी पहुंचे। 6 बजे तक दाेनाें पक्ष अामने-सामने थे। इसके बाद हालात बेकाबू हुए। सैनिक एक-दूसरे का पीछा कर पीटते रहे। यह सबकुछ रात 12 बजे तक जारी रहा। इस दाैरान नई दिल्ली और बीजिंग के बीच हॉटलाइन पर बातचीत भी जारी रही।’

चीन की बौ’खलाहट का सबसे बड़ा कारण 255 किमी की वह सामरिक सड़क है, जो भारतीय सैनिकों की पूर्वी लद्दाख में आवाजाही सुगम बनाती है। यह सड़क बनने से ही गलवान घाटी में तनाव बढ़ा है।

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