बिना ड्राइवर के दौड़ी मेट्रो, चलना-रुकना-गति पकड़ना सब ऑटोमैटिक, PM मोदी ने हरी झंडी दिखा शुरुआत की

पीएम बोले- 2025 तक 25 शहरों में दौड़ेगी मेट्रो; 1700 किमी लंबा विस्तार करेंगे : 18 साल पुरानी दिल्ली मेट्रो के सफर में एक और उपलब्धि जुड़ गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को देश की पहली ड्राइवरलेस ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर शुरुआत की। यह मेट्रो जनकपुरी पश्चिम से बोटेनिकल गार्डन तक 37 किमी लंबी मैजेंटा लाइन पर दौड़ेगी। इसके इंजन, बोगियों और ट्रैक पर लगे सीसीटीवी कैमरों की लाइव स्ट्रीमिंग के जरिए ड्राइवरलेस मेट्रो कंट्रोल की जाएगी।

इसका सिस्टम ऐसा है कि दो ट्रेनें अगर एक ट्रैक पर आ जाएंगी, तो अपने आप रुक जाएंगी। इस मौके पीएम मोदी कहा- ‘मेट्रो का एक स्वरूप आरआरटीएस (रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम) है। यह किसी मेट्रो शहर को नजदीकी शहरों से जोड़ेगा। जैसे, शुरुआत में दिल्ली और मेरठ को आरआरटीएस से जोड़ा जा रहा है। इससे दिल्ली से मेरठ पहुंचने का समय एक घंटे से भी कम हो जाएगा। ऐसे ही जिन शहरों में यात्री कम हैं, वहां ‘मेट्रोलाइट’ सेवा शुरू की जाएगी। ये सामान्य मेट्रो के मुकाबले 40 प्रतिशत कम लागत से तैयार हो जाती है। जिन शहरों में सवारियां और भी कम हैं, वहां ‘मेट्रो नियो’ पर काम हो रहा है। ये सामान्य मेट्रो की तुलना में 25 प्रतिशत कम लागत से तैयार होती है।’ उन्होंने कहा- ‘हम 2025 तक 25 से ज्यादा शहरों में इसका विस्तार करेंगे। देश में मेट्रो का विस्तार 700 किमी से ज्यादा है। 2025 में इसका विस्तार 1700 किमी करने पर विचार कर रहे हैं।’

तकनीक: किसी घटना की आशंका पर रुक जाएगी ट्रेन; हादसों में कमी आएगी
ड्राइवरलेस मेट्रो में आगे की ओर ड्राइवर का केबिन नहीं होगा। ऐसे में यात्री अब ट्रेन के अगले हिस्से में जाकर सामने की ओर रेल ट्रैक भी साफ देख सकेंगे। इसकी एक और खासियत यह है कि इसमें रेल ट्रैक पर अगर कोई भी चीज 50 मीटर की दूरी पर पड़ी होगी तो यह अपने आप रुक जाएगी। इससे हादसों की आशंका भी कम हो जाएगी। इन्हें कंट्रोल रूम से ही ऑटोमैटिक तरीके से ऑपरेट किया जाएगा।

दुनिया: 1981 में जापान में दौड़ी थी ड्राइवरलेस मेट्रो
दुनिया की पहली ड्राइवरलेस मेट्रो 1981 में जापान के कोबे शहर में दौड़ी थी। वर्तमान में अमेरिका, फ्रांस ब्रिटेन, जर्मनी, इटली, स्पेन, डेनमार्क, हंगरी, स्विट्जरलैंड, चीन, ब्राजील, कनाडा, पेरू और चिली में ड्राइवरलेस मेट्रो का संचालन होता है।

खूबी: चलना, रुकना व गति पकड़ना सब ऑटोमैटिक
ट्रेन का चलना, रुकना, गति पकड़ना, ब्रेक लगाना, दरवाजों का खुलना-बंद होना, इमरजेंसी में कंट्रोल करना सब कुछ ऑटोमैटिक होगा। ओडीडी डिवाइस ट्रैक पर लगे होंगे, जो सामने आने वाली किसी भी रुकावट को हटाकर ट्रेन को पटरी से उतरने यानी डीरेल होने से बचाएगी।

सुविधा: 5 मिनट की बजाय हर 90 सेकंड में मिलेगी मेट्रो
वर्तमान समय में 5 मिनट 12 सेकंड के अंतराल पर मेट्रो का परिचालन होता है। लेकिन ड्राइवरलेस मेट्रो चलने से यात्रियों का दबाव बढ़ने पर महज 90 सेकंड के अंतराल पर मेट्रो का परिचालन हो सकेगा। इससे मेट्रो की आय भी बढ़ सकेगी।

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