गामक दुर्गा पूजाक बिना हमरा हमर सभटा पूजा कम बुझाइत अछि

Vandana Jha

न मन्त्रं नो यन्त्रं तदपि च न जाने स्तुति महो, न चाह्वानं ध्यानं तदपि च न जाने स्तुति कथा:। न जाने मुद्रास्ते तदपि च न जाने विलपनं, परं जाने मातस्त्वदनुसरणं क्लेशहरणम् ।।

ई देव्यापराधक्षमापन स्तोत्रम् बाबाक संग प्रतिदिन भोर सांझ कहिया सँ पढब शुरू कयलहुं ओ हमरा यादो नहि अछि। किएक तऽ बुद्धि भेलाक पहिले सँ दुर्गाशप्तशतीक पाठ बाबाक संग करैत पैघ भेलहुं।

दुर्गा पूजा आ हमर जन्म भूमि ‘ निकाशी ‘ ई दुनु हमर जीवन में सदैव एक दोसरक संग जुड़ि कऽ हमर आत्मामे बसल अछि। निकाशीक दुर्गा पूजा के बिना हमरा हमर सभटा पूजा कम बुझाइत अछि। हमर गाम निकाशी हमर जन्म स्थान अछि तऽ ओ हमरा लेल अति पावन भूमि अछि, ओहि मे ओहि ठामक दुर्गा पुजा हमर जीवनक अभिन्न अंग रहल अछि। पारिवारिक आ निजी व्यस्तता कही या जीवनसंगिनीक धर्म जाहिके पालन करय मे नहि जानि कतेक दिन भऽ गेल अपन गाम निकाशीक दुर्गा पूजाक दर्शन आ अपन जन्म भूमिक पावन धरतीक चरण वंदन कयल ।

गाम पर बाबा, पिताजी आ कक्का सबहक संग घरमे भगवती पूजा सँ लऽ कऽ बाबीक संग माटिक दीप बना प्रतिदिन दुर्गा स्थान मे सांझ देबाक उत्साह। बाबा आ बाबीक देल अठन्नी एखन कोनो अशर्फी सँ बेसी बहुमूल्य बुझाइत अछि। माँ पिताजीक द्वारा देल नबका दसटकही एखन कोनो सम्पत्ति सँ पैघ बुझाइत अछि। कक्का, काकी के द्वारा देल मेला घुमबाक पाई सभ अनमोल बुझा रहल अछि।

भरि गाममे कुमारि खयबाक न्योत आ खोंईछ लऽ कऽ भरि गाम एक करब एखन कोनो तीर्थ जेकाँ बुझाइत अछि। गामक मेला में झिल्ली, कचड़ी, सिंघाड़ा आ मिठाई सबहक दोकानक सामने पाँच सितारा होटल सब फेल बुझाइत अछि। रातिक समय गामक नाटक कोनो बड़का सिनेमा सब सँ बेसी नीक छल। भरि गामक लोक सबहक लेल अपन प्रतिभा देखयबाक अद्भुत मंच छल ओ।

दुर्गास्थानमे अनवरत दुर्गा शप्तशतीक पाठ आ दशमी दिन हवनक सोझां समस्त संसारक कोनो महातीर्थ हमरा लेल कम अछि। दुर्गा पूजाक बात ध्यानमे आबैत एकमात्र शब्द जे हमरा मस्तिष्क मे आबैत अछि ओ हमर गाम हमर जन्म भूमि निकाशी अछि। मोन कचोटि जाइत अछि जे एहि मे हम नहि जा पाबि रहल छी।

अपन कुलदेवी मैया आ दुर्गा महारानी सँ एतबे प्रार्थना अछि जे हमर जन्म भूमि हमर गाम निकाशीक ज्ञान रूपी मान सम्मान सदैव बनल रहय‌, भरि गाममे सुख शांति आ समृद्धि रहय, जतय कतहु हम रही मैयाक आशीर्वाद सदैव हमरा आ हमर परिवार के भेटैत रहय।‌ मोनमे ईएह आस अछि जे नहि जानि मैया कहिया हमरा ‌अपन दर्शनक लेल बजयतीह आ हम मैयाक खोंइछ भरि अपन खोंइछ पूर रहबाक आशीश लेब।

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