दुनिया से जाने के बाद भी हमेशा जिन्दा रहेगी पांच साल की नन्ही सोनम, म’रकर भी दूसरे को रोशनी दे गई

अपने पापा की लाडली और दादा की दुलारी पांच साल की सोनम दुनिया छोड़ने के बाद भी दूसरे के जीवन से भी अंधेरा दूर कर गई। अंगदान महादान है, इसे समझते हुए मृतक सोनम के दादा नालंदा निवासी महेश यादव ने उसका नेत्रदान किया। अपने कलेजे के टुकड़े की मौत के बाद दूसरे के जीवन में उजाला लाने का नेक काम उन्होंने किया।

पीएमसीएच में बुधवार को साहेब यादव की पुत्री सोनम का नेत्रदान हुआ। मंगलवार की देर रात एक सड़क दुर्घटना में सोनम गंभीर रूप से घायल हो गई थी। उसे पीएमसीएच में देर रात भर्ती कराया गया। डॉक्टरों की टीम ने बच्ची को बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। बुधवार को सुबह साढ़े सात बजे के करीब उसकी मौत हो गई। इस मार्मिक घड़ी में जब अपने परिवार के सदस्यों को संभालने का समय था तब महेश यादव पीएमसीएच के आईबैंक के काउंसिलर ऋषिकेश से नेत्रदान कराने को कह रहे थे।

बताते चले की नेत्रदान में एक व्‍यक्ति अपनी मृ-त्‍यु के बाद अपनी आंखें दान करने का वचन देता है। भारत में, लाखों लोगों को दोबारा अपनी आंखों की रोशनी हासिल करने के लिए कॉर्नियल ट्रांसप्‍लांट की जरूरत है। दुर्भाग्‍य से, 10 प्रतिशत से भी कम लोगों को इसका लाभ मिल पाता है और बहुत सारे लोगों को दृष्टिहीन रहना पड़ता है। एक अनुमान के मुताबिक, भारत में 1.2 करोड़ लोग कॉर्नियल ट्रांसप्‍लांट के लिए इंतजार कर रहे हैं।

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