फुटपाथ पर रहने वाले गरीब भिखारी ने भी दिया PM मोदी का साथ, अपने घर के बाहर जलाया मोमबत्ती

उम्मीदों का दीया तो वहां भी जला, जिनके घर नहीं..

पटना : नौ अभी बजा ही है। पाटलिपुत्र कॉलोनी और बोरिंग रोड में घरों की लाइट बुझाकर लोग छतों और बालकनियों से दीये और मोमबत्तियां जला रहे हैं। हम गाड़ी पर मोबाइल से ही तस्वीरें खींचते तेजी से डाकबंगला चौराहा होते हुए फ्रेजर रोड की ओर मुड़ते हैं। गांधी मैदान से थोड़ा पहले कुछ ऐसा दिखता है कि हमें गाड़ी रोकनी पड़ती है। यहां फुटपाथ पर सोए बेघर मोमबत्तियां जलाए बैठे हैं।

कोई बर्तन बजा रहा, कोई ‘कोरोना को भगाने’ के लिए यूं ही हाथ जोड़े बैठा है। एक मोमबत्ती की टिमटिमाती रोशनी में प्लास्टिक की शीट पर अनिल कुमार लेटे हैं। पास में ही पानी की बोतल रखी है। टोकने पर कहते हैं, प्रधानमंत्री जी ने तो कह दिया कि घर की लाइट बुझाकर मोमबत्ती जलाइए, हमारा तो यही (फुटपाथ) घर है, यही छत और यही आंगन। खाना देने वाले भइया से एक पीस मोमबत्ती मांगी थी, वही जलाई है। इसी फुटपाथ पर थोड़ा आगे बढ़ने पर आधा दर्जन से अधिक मोमबत्तियों की रोशनी में दिलीप, बिगन, विकास, सोनू और प्रमोद बैठे हैं।

पूछने पर पता चलता है कि आज खाना बांटने वाले पुलिसकर्मियों ने ही मोमबत्ती दी है, जलाने को। कोरोना के संकटकाल में खाने की दिक्कत नहीं है। शादियों में बावर्ची का काम करने वाले दिलीप कहते हैं, खाना तो इतना मिल रहा कि तीन-चार पैकेट रखा हुआ है, मगर फिर भी भगवान से प्रार्थना है कि कोरोना का प्रकोप खत्म हो। बिगन और सोनू कहते हैं, हम लोग बैंड पार्टी में मजदूरी का काम करते हैं। मांगकर खाना अच्छा नहीं लगता। प्रधानमंत्री मोदी जी कहे हैं कि मोमबत्ती जलाने के लिए तो कुछ अच्छी बात के लिए ही कहे होंगे। अब तक रात के सवा नौ हो चुके थे। अगल-बगल के घरों और अपार्टमेंट की बत्तियां जल गई थीं मगर ये फुटपाथ अब भी मोमबत्तियों से ही रोशन थे।

-कुमार रजत, Jagran, Patna

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