जिस बटालियन में पिता थे, उसी में आज बेटा कर रहा काम
कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना के अभियान ‘ऑपरेशन विजय’ में कारगिल, द्रास, तोलोलिंग जैसे दुर्गम मोर्चो पर लड़ रही भारतीय सेना में मुजफ्फरनगर के जाबांज जवान भी शामिल थे। मुजफ्फरनगर जिले के पांच जवानों ने पाक सेना के छक्के छुड़ाते हुए बलिदान दिया था। इनमें एक पचैंडा निवासी लांस नायक बचन सिंह ने भी तोलोलिंग चोटी पर दु’श्मन के कब्जे से अपनी मातृभूमि की एक-एक इंच जमीन मुक्त कराते हुए शहीद हुए थे। बचन सिंह की पत्नी कामेशबाला ने पति की शाहादत के बाद बेटे हितेश कुमार को भी सेना में उसी बटालियन (द्वितीय राजपूताना रायफल्स) में अफसर बनाकर मिसाल पेश की। .
12 जून 1999 को दुश्मन की चारों ओर से बरसती गो’लियों के बीच लांस नायक बचन सिंह अपने साथियों के साथ दु’श्मन पर गोलियां बरसाते हुए उनका सफाया करते हुए तोलोलिंग चोटी तक तो पहुंच गए लेकिन सिर में लगी गो’ली के कारण उन्होंने देश की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया और वीरगति को प्राप्त हुए।
केवल छह वर्ष के थे दोनों बच्चे : बचन सिंह जब शहीद हुए उस वक्त बेटे हितेश और हेमंत छह साल के थे। पति की शाहादत के बाद मां कामेशबाला ने बच्चों को भी सेना में भेजने का संकल्प ले लिया था। बेटों को सैन्य स्कूल में दाखिला भी मिल गया। स्नातक की पढ़ाई के बाद हितेश का चयन 2016 में इंडियन आर्मी में लेफ्टीनेंट के रूप में हो गया। देहरादून में इंडियन मिलिट्री एकेडमी में ट्रेनिंग लेने के बाद हितेश 2018 में पासिंग आउट परेड में जब शामिल हुआ तो मां और भाई हेमंत इसके गवाह बने। मां को बेटे पर और अधिक गर्व तब हुआ जब उसकी नियुक्ति पिता शहीद लांस नायक बचन सिंह की बटालियन में ही हुई। हितेश जयपुर में इसी बटालियन में कैप्टन के पद पर तैनात हैं। हालांकि, मां का सपना अभी अधूरा है। वह अपने दूसरे बेटे हेमंत को भी सेना में अधिकारी बनाना चाहती हैं।