भारत की 7100 एकड़ जमीन पर नेपाल का कब्जा, SSB को एक्शन की मनाही, प्रशासन को बोलने की इजाजत नहीं

भारत की जमीन पर अतिक्रमण कर नेपाल सरकार काट रही पट्टे, सरकार की लगातार चुप्पी से नेपाल की हिम्मत बढ़ी

जिस नेपाल को भारत सरकार ने मित्र मानकर गले से लगा रखा है, उसी मित्र ने बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले की लगभग 7100 एकड़ जमीन पर कब्जा जमा लिया है। ये सिलसिला अब भी तेजी से जारी है। वाल्मीकिनगर में सुस्ता, वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के जंगल और गोवर्धना में शिवालिक रेंज की पहाड़ियां सहित कई ऐसे इलाके हैं, जहां अवैध कब्जा बढ़ रहा है। यहां पट्टे भी काटे जाने की तैयारी है।

इस इलाके के डीएम डाॅ. निलेश रामचंद्र देवर कहते हैं कि यह अंतरराष्ट्रीय मसला है, जबकि डीएफओ गौरव ओझा मानते हैं कि जमीन पर अतिक्रमण है। इस स्थिति का फायदा उठाकर लोग दोहरी नागरिकता का लाभ ले रहे हैं। जंगल से करोड़ों रुपए पेड़ काट दिए गए हैं।

सबसे ज्यादा प्रभावित सुस्ता: अब तो नेपाल का त्रिवेणी थाना भी सुस्ता में आ चुका है। अस्पताल, स्कूल, सड़क तक बना दी गई है। वीटीआर जंगल और गोवर्धना में शिवालिक रेंज की पहाड़ियां भी थीं, जिस पर अब नेपाल का दावा है। आज भी सुस्ता में बसने वाले 95 फीसदी लोग भारतीय हैं।

इन 5 जगहों पर भी नेपालियों का कब्जा : 1) मौजा ठाड़ी में 12 चादर में ठाड़ी, नर्सरी, बड़ा ठाड़ी, छोटा ठाड़ी गांव का रकबा 7378 एकड़ है, जिसमें 3000 हजार एकड़ पर कब्जा। 2) मौजा रमपुरवा में 2 चादर में रमपुरवा, हजमटोला, खडंजाटोला गांव का रकबा 900 एकड़, जिसमें 400 एकड़ पर कब्जा। 3) मौजा परसौनी में 2 चादर में सुस्ता, रोहुआ टोला, भेड़िहारी आदि गांव का रकबा 2351 एकड़, जिसमें 2300 एकड़ सुस्ता के नाम पर कब्जा। 4) मौजा बलगनवा में कई चादरों में आधा दर्जन गांव बसे हैं। इसका रकबा 3487 एकड़ है, जिसमें 1400 एकड़ नेपालियों के कब्जे में है। 5) सबसे ऊंची चोटी सोमेश्वर स्थित नो मेन्स लैंड पर भी पांच साल पहले नेपालियों ने झंडा लगा दिया। वहां नेपाली प्रहरी और एसएसबी दोनों है। चंपारण के वीटीआर और कई ऐसे भूभाग हैं, जहां नो मेंस लैंड है ही नहीं और नेपालियों ने कब्जा कर लिया है। (स्रोत : रमपुरवा निवासी एवं धनैया रेता बचाव समिति के अध्यक्ष जलील अंसारी)

नेपाल को लेकर चुप है सरकार: नेपाल की ओर से लगातार अतिक्रमण के बाद भी भारत सरकार ने कोई कदम नहीं उठाए हैं। 1815 की संधि में जो फैसला हुआ, उसमें 1960 की संधि में ढील दे दी गई। 2005 में जो संधि हुई, उसमें भारत सरकार नेपाल के प्रति और नरम हो गई। स्थानीय स्तर पर सीमा विवाद को लेकर 2006, 2006 और 2007 में कई समझौते हुए। साल में एक-दो बार दोनों देश के सीमावर्ती जिलों के अधिकारी बैठक करते हैं पर निष्कर्ष नहीं निकलता।

दोहरी नागरिकता का लाभ ले रहे सुस्ता के निवासी: लोगों ने सुस्ता की भूमि की बंदोबस्ती भी नेपाल सरकार से करा ली है। बुनीलाल केवट, दुखीलाल केवट, लल्लू केवट, नृव कुमारी गुरड़ आदि को आधार कार्ड से मुक्त कर दिया है। उन्हें दोहरी नागरिकता का लाभ मिलता है। नेपाल में वहां के कागजात और भारत में यहां के कागज दिखा देते हैं।

वीटीआर में तीन ओर से बना रहे सड़क: सुस्ता के एक ओर गंडक और तीन ओर से भारतीय भूभाग है। यहां मुन्ना खां की भी जमीन है। यहां तीनों ओर से सड़क निर्माण हो रहा है। ताकि भारत में और अंदर तक घुसा जा सके। लोग बताते हैं कि धनैया रेता और नेपाल अधिग्रहित सुस्ता और गंडक के तट पर 40 साल पहले तक जंगल थे। जब भारतीय अपराधी सुस्ता में आकर बसे तो वीटीआर के जंगल काटकर जबरदस्त अतिक्रमण करने लगे।

नोट: यह रिपोर्ट दो साल पुरानी है, लेकिन भारत-नेपाल बार्डर पर स्थिति जस के तस है

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