जहानाबाद लोक सभा सीट पर जाति का बोलबाला, हर बार सांसद बदल देते हैं यहां के लोग

जहानाबाद में वैसे तो लड़ाई एनडीए बनाम महागठबंधन हैं। हालांकि वर्तमान सांसद अरूण कुमार के चुनावी मैदान में उतरने से चुनावी समर त्रिकोणीय बनता नजर आ रहा है। जानकारों की माने तो जहानाबाद भूमिहार और यादव बहुल सीट है। पिछले दो दशकों से यह क्षेत्र बीजेपी या एनडीए का गढ़ रहा है। महागठबंधन ने इस बार जहां राजद ने सुरेंद्र यादव पर दांव खेला है वहीं जदयू ने चंद्रशेखर चंद्रवंशी को अपना उम्मीदवार बनाया है। वर्तमान सांसद और पूर्व रोलोसपा नेता अरूण कुमार इस बार अपनी पार्टी आरएलएसपी सेक्युलर के सिंबल पर चुनाव लड़ रहे हैं।

जहानाबाद सीट के बारे में कहा जाता है की यहां विकास से अधिक जातियों का बोलबाला है। यादव और भूमिहार निर्णयाक फैसला करते हैं। भूमिहार समुदाय के लोगों की माने तो उन्होंने लालू का जंगलराज देखा है और उसे भोगा है। वह कभी नही चाहेंगे की फिर से लालू का दौड़ वापस लौटे। इस परिस्थिति में यहा तो यहां की जनता जदयू उम्मीदवार चंद्रवंश के साथ जाएगी या अरूण कुमार के। चंद्रवंशी समर्थकों की माने तो उनकी जीत तय है। उन्हें सुशासन बाबू नीतीश कुमार और पीएम मोदी के कामों पर पूर्ण विश्वास है। अगर सच में एनडीए समर्थक बिना इफ बट के चंद्रवंश को वोट करते हैं तो उनको हराना मुश्किल होगा।

जहानाबाद में अरूण कुमार के समर्थक भी काफी मुखर होकर प्रचार प्रसार करते नजर आ रहे हें। इन लोगों के अनुसार एनडीए सरकार में वर्तमान सांसद ने अच्छा काम किया है। जनता उनके साथ है। अरूण कुमार को लेकर क्षेत्र में एक बात बहुत जोर शोर से जदयू और राजद द्वारा प्रसारित की जा रही है कि जहानाबाद की जनता दुबारा किसी को मौका नहीं देती है। इस कारण अरूण कुमार की जीत कठिन ही नहीं असंभव है।

बताते जहानाबाद सीट आजादी के बाद से ही पहले कांग्रेस, फिर सीपीआई का गढ़ रही है। इस सीट से 6 बार सीपीआई को जीत हासिल हुई। सीपीआई नेता रामाश्रय प्रसाद सिंह जहानाबाद से 4 बार चुनकर लोकसभा गए। लेकिन 1998 के चुनाव में इस सीट ने सियासी करवट ली और आरजेडी ने समता पार्टी के अरुण कुमार को हराकर इस सीट से अपना खाता खोला। तब से इस सीट से कभी आरजेडी तो कभी जेडीयू को जीत हासिल होती रही। 1999 के चुनाव में अरुण कुमार जेडीयू के टिकट पर आरजेडी उम्मीदवार को हराने में कामयाब रहे। 2004 के चुनाव में आरजेडी के गणेश प्रसाद सिंह ने अरुण कुमार को मात दी। लेकिन 2009 के चुनाव में जेडीयू ने यहां से जगदीश शर्मा को उतारा। जिन्होंने आरजेडी के सुरेंद्र प्रसाद यादव को मात दी। 2014 के मोदी लहर में डॉ। अरुण कुमार एनडीए की सहयोगी आरएलएसपी के टिकट पर यहां से दूसरी बार जीतने में कामयाब रहे।

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