कृष्ण जन्माष्टमी आज, घर-घर में मनाया जाएगा बांके बिहारी का जन्मोत्सव

भाद्र कृष्ण अष्टमी कृष्णाष्टमी यानी जन्माष्टमी व्रत 23 अगस्त काे हाेगा। भारतीय सनातन धर्म परंपरा में जन्माष्टमी व्रत मनाने के दाे विधान हैं। एक विधान है कि लाेग भगवान श्री कृष्ण के जन्म के अवसर पर व्रत रखते हैं, जिसे जयंती व्रत कहा जाता है। 23 अगस्त शुक्रवार काे अष्टमी तिथि रात्रि 3.26 तक रहेगी। इसलिए मध्य रात्रि में अष्टमी तिथि पड़ने के कारण शुक्रवार के दिन ही जयंती व्रत रखा जाएगा।

ज्याेर्तिवेद विज्ञान केंद्र के निदेशक डाॅ. राजनाथ झा के अनुसार काेर्इ भ्रांति नहीं है, इस बार जन्माष्टमी व्रत 23 अगस्त काे मनार्इ जाएगी। एक परंपरा यह है कि भगवान के जन्म के बाद लाेग कृष्णाष्टमी व्रत रखते हैं। 24 अगस्त काे भगवान काे जन्म के बाद लाेग विधिवत षाेडसाेपचार पूजा, गीता पाठ, विष्णु सहस्त्रनाम पाठ, वेद मंत्राें से भगवान श्रीकृष्ण की उपासना करते हैं।

श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के योग में हुआ था: भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के योग में हुआ था। शुक्रवार, 23 अगस्त को अष्टमी तिथि रहेगी और इसी दिन रात 11.56 बजे से रोहिणी नक्षत्र शुरू हो जाएगा, इस वजह से 23 अगस्त की रात जन्माष्टमी मनाना शुभ रहेगा। भक्तों को 23 अगस्त को ही श्रीकृष्ण के लिए व्रत-उपवास और पूजा-पाठ करना चाहिए।

23 को अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र दोनों ही योग

ज्याेतिषाचार्याें के अनुसार 23 अगस्त को अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र दोनों ही योग रात 12 बजे जन्मोत्सव के समय विद्यमान रहेंगे। लेकिन, कुछ पंडितों का मत है कि अष्टमी तिथि 24 अगस्त को सूर्योदय काल से रहेगी और यह अष्टमी नवमी युक्त रहेगी। पंचांग में भी पर्व की तिथियों को लेकर अंतर है। वैसे स्मार्त और शैव संप्रदाय जिस दिन जन्माष्टमी मनाते हैं, उसके अगले दिन वैष्णव संप्रदाय वाले जन्माष्टमी मनाते हैं।

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