जयंती पर लालबहादुर शास्त्री को शत-शत नमन..PM बनने के बाद भी कार खरीदने के लिए लिया था लोन

ईमानदारी की मिसाल थे लालबहादुर शास्त्री..PM बनने के बाद भी कार खरीदने के लिए लिया था लोन
दो अक्तूबर को पैदा होने वालों की बात ही कुछ और हुआ करती थी : शास्त्री जी की सरकारी कार हमेशा गराज में ही खड़ी रहती थी, जब कोई फ़ोरेन डेलिगेट आता तब झाड़-पोंछ कर प्रधानमंत्री की कार निकलती. एक रोज़ शास्त्री जी बाहर थे, बेटे को कहीं जाना था, जवान बेटे ने सोचा यही मौक़ा है रबाब दिखाने का, चाभी उठायी और निकल लिए.

जब ये बात शास्त्री जी को पता चली तो उन्होंने जाकर अपने सचिव से अनुरोध किया कि ऐसी ग़लती हो गयी है और वो चाहते हैं पेट्रोल का पैसा और दो घंटे का चार्ज उनकी सैलेरी से काट कर कार के नाम पर देदिया जाय…. सचिव की समझ में नहीं आया ऐसा कैसे होगा… ‘आपकी कार है जैसे चाहें इस्तेमाल करें’. शास्त्री जी ने कहा नहीं, देश की कार है, मेरी नहीं…. मेरी होगी तो मैं जैसे चाहे इस्तेमाल कर लूँगा. फ़ाइनली उन्होंने अपनी सैलेरी से वो पैसे कटवाए

2 अक्टूबर का दिन भारत के लिए राष्ट्रीय गौरव का दिन है। आज ही के दिन देश की दो बड़ी शख्सियतों का जन्मदिन है। आज जहां राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती है तो वहीं जय जवान जय किसान का नारा देने वाले लोकप्रिय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की भी जयंती आज ही है।

आज ही के दिन साल 1904 में उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में उनका जन्म हुआ था। बाद में वह आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने। नेहरू के निधन के बाद प्रधानमंत्री पद की दौड़ में लाल बहादुर शास्त्री और मोरारजी देसाई का नाम सबसे आगे था, लेकिन शात्री प्रधानमंत्री बने। उनके जिंदगी के कई किस्से प्रचलित है। ऐसा ही एक किस्सा है उनके कार से जुड़ा हुआ है। दरअसल उन्होंने कभी पंजाब नेशनल बैंक (PNB) से कार खरीदने के लिए लोन लिया था। बाद में उनकी पत्नी ने वह लोन चुकाया था।

यह किस्सा उस वक्त का है जब वह देश के प्रधानमंत्री बन गए थे। उस वक्त उनके पास कोई कार नहीं थी। ऐसे में परिवार के सदस्यों ने उन्हें कार खरीदने का आग्रह किया। बहुत सोच-विचार करने के बाद उन्होंने अपने सचिव को बुलाया और फिएट कार की कीमत पता करने के लिए कहा। सचिव ने कार की कीमत 12000 रुपए बताई।

कार की कीमत 12 हजार थी लेकिन उस वक्त शास्त्री के पास केवल 7 हजार रुपये ही थे। कार खरीदने के लिए उन्होंने उस वक्त पांच हजार रुपये पंजाब नेशनल बेंक से लोन लिया था। लोन लेने के दौरान एक और दिलचस्प वाकया हुआ। लाल बहादुर शास्त्री को लोन बैंक से पास करवाने में सिर्फ आधे घंटे लगे। लाल बहादुर शास्त्री ने तुरंत कहा कि देश के लोगों को भी लोन लेने में इतना ही समय लगना चाहिए।

11 जनवरी 1966 को उज्बेकिस्तान के ताशकंत में जब शास्त्री जी का निधन हुआ उस वक्त तक पंजाब नेशनल बैंक का लोन वह नही चुका पाए थे। इसके बाद बैंक ने उनकी पत्नी ललिता शास्त्री को लोन को लेकर खत लिखा, जिसके बाद ललिता शास्त्री ने अपने पेंशन में पैसे कटाकर उस कार का लोन चुकाया था।

लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 मुगलसराय में हुआ था। उन्होंने काशी विद्यापीठ से अपनी पढ़ाई पूरी की। 1928 में उनका विवाह ललिता से हुआ। उनके कुल 6 बच्चे हुए। दो बेटियां-कुसुम और सुमन। चार बेटे-हरिकृष्ण, अनिल, सुनील और अशोक। उनके दो बेटों का निधन हो चुका है। अनिल शास्त्री और सुनील शास्त्री अपनी राजनीति में सक्रिय हैं। अनिल शास्त्री कांग्रेस पार्टी के एक वरिष्ठ नेता हैं और सुनील शास्त्री बीजेपी में हैं। उनके नाती आदर्श शास्त्री आम आदमी पार्टी के नेता है।

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