DMCH-PMCH में मैथिलि भाषा में होगी MBBS की पढ़ाई, 21 FEB को उपराष्ट्रपति कर सकते हैं घोषणा
नई शिक्षा नीति के तहत अब छात्र मेडिकल स्नातक की पढ़ाई हिंदी और अंग्रेजी के साथ मातृभाषा में भी कर सकेंगे। विशेष सूत्रों की मानें तो यदि सबकुछ ठीक-ठाक रहा तो 21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय व संस्कृति मंत्रालय के साझा कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू इसकी घोषणा कर सकते हैं। अंग्रेजी की जटिलता के कारण कई छात्र मेडिकल की पढ़ाई बीच में छोड़ देते हैं। इस वजह से केंद्र सरकार यह निर्णय लेने जा रही है।
मानसरोवर आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर के प्रोफेसर व आयुष मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. राकेश पांडेय की मानें तो एमबीबीएस, बीडीएस, बीएएमएस, बीएचएमएस, बीयूएमएस, स्नातक डिग्री कोर्स प्रदेश समेत देश के 532 मेडिकल, 313 डेंटल और 710 अनायुषा कॉलेजों में संचालित हैं। मातृभाषा के तहत संस्कृत, उड़िया, हिंदी, तिब्बती, मलयालम, तमिल, अरेबिक, कन्नड़, असमिया, उर्दू, बंगाली, तेलगू अादि प्रमुख हैं। उम्मीद की जा रही है कि उच्च शिक्षा में स्नातक स्तर पर और भी डिग्री कोर्स की पढ़ाई मातृभाषा में हो सकेगी। डॉ. पांडेय का कहना है, अपनी मातृभाषा में छात्रों को अध्ययन-अध्यापन में सहूलियत होगी। वहीं, भारतीय लेखकों को भी प्रोत्साहन मिलेगा। पर इसके पहले पूरी तैयारी हो फिर सरकार अध्यापन कार्य कराए नहीं तो चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होगी।
पढ़ाई में नहीं मिलेगा लाभ : अायुवेर्दिक कॉलेज अस्पताल, पटना के प्राचार्य डॉ. दिनेश्वर प्रसाद का कहना है कि मातृभाषा में मेडिकल पढ़ाई शुरू करने की बात सुनने को मिली है। पर खासकर एमबीबीएस की पढ़ाई में ज्यादा लाभ नहीं होगा, क्योंकि देश-दुनिया में अंग्रेजी में ही पढ़ाई होती है। हिंदी या फिर मातृभाषा में पढ़ाने वाले शिक्षक भी नहीं मिलेंगे। अायुर्वेद के कुछ विषय हिंदी में पढ़ाए जाते हैं।