बिहार के दरभंगा में सात पुश्तों से हिंदू समाज मना रहा मुहर्रम का पर्व, ताजिया पूजन करने की है परंपरा

सात पुश्तों से हिंदू समाज मना रहा है मुहर्रम का पर्व : बिहार के दरभंगा में जगह-जगह मोहर्रम को लेकर हो रहे विवाद के कारण आखिरकार प्रशासन ने बड़ा फैसला लेते हुए इंटरनेट सेवा को अगले 3 दिन के लिए बंद कर दिया है. बताया जाता है कि इंटरनेट सेवा 27 जुलाई शाम से लेकर 30 जुलाई तक बंद रहेंगे. इस दौरान विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को प्रतिबंधित कर दिया गया है. मीडिया में चल रही खबरों के अनुसार मुहर्रम जुलूस को लेकर जगह-जगह विवाद हो रहे थे. पहले बिरौल फिर दरभंगा के कई स्थानों पर धार्मिक झंडा लगाने को लेकर दो पक्षों के बीच जमकर विवाद हुआ. लेकिन इस विवाद के बीच आज हम आपको एक ऐसी कहानी बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर आप सोचने पर विवश हो जाएंगे कि जिस मोहर्रम को लेकर 2 धर्म के लोग आपस में लड़ रहे हैं उसी मोहर्रम को बिहार के दरभंगा में 7 पुश्तों से हिंदू परिवार द्वारा मनाया जाता रहा है. यहां के लोगों की माने तो जिस दिन ताजिया निकाला जाता है उस दिन हिंदू समाज की महिलाओं को ताजिया पूजन करते हुए देखा जा सकता है. तो आइए शुरू करते हैं कहानी…

बेनीपुर आंबेडकर धर्मशाला के निकट महतो परिवार के लोग सात पुश्त से पूरे विधि-विधान से मुहर्रम पर्व मनाते आ रहे हैं। यहां हर वर्ष मुहर्रम पर्व में गंगा-जमुनी तहजीब देखने को मिलती है। हिंदू समाज के लोग यहां से निकलने वाली चौकी एवं ताजिया जुलूस में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। खासकर महतो परिवार की महिलाएं रोजा रखकर पूरी विधि-विधान से मुहर्रम पर्व में अराधना करती हैं। प्रमीला देवी, नंदनी देवी, आरती देवी, अनिता देवी, ममता देवी आदि ने बताया कि उनकी सास द्वारा किए गए विधि-विधान के हिसाब से वे लोग रोजा रखकर निष्ठापूर्वक मुहर्रम पर्व की सभी रस्म अदा करती हैं तथा मुहर्रम में रोजा रखकर फातिहा आदि रस्म अदा करती हैं।

इधर तपेश्वर महतो ने बताया कि सात पुश्त से उसके परिवार के लोग मुहर्रम पर्व मनाते आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि मुहर्रम पर्व की रस्म पंचमी से शुश्रू की जाती है और ताजिया जुलूस तक चलती है। इस दौरान पंचमी को मिट्टी, सतमी को थमकट्टी, अठवीं को चौकी बैठायी जाती है तथा नवमी को चौकी उठायी जाती है। पुन नवमी को ही ताजिया बैठाया जाता है तथा दसवीं को ताजिया उठाया जाता है। उन्होंने बताया कि पूर्वज द्वारा बनायी गयी परंपरा के हिसाब से हम लोग सक्रिय रूप से मुहर्रम पर्व मनाते आ रहे हैं।

भगवान बाबू महतो ने बताया कि अठवीं को संध्या के समय मौलाना बशीर साह को बुलाकर फातिहा की रस्म अदा कराई जाती है। यहां की चौकी एवं ताजिया जुलूस में हिंदू समाज के लोग बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं तथा गंगा-जमुनी तहजीब का नमूना पेश करते नजर आते हैं। यहां की चौकी व ताजिया मिलान के लिए जुलूस की शक्ल में लोग आशापुर टावर चौक व बेनीपुर अंचल परिसर में जाते हैं।

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