NDA में जाने पर मांझी के खिलाफ बगावत, लोस चुनाव लड़ चुके हम के 2 नेताओं ने छोड़ा साथ

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PATNA : हम के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष और औरंगाबाद से लोकसभा का चुनाव लड़ चुके उपेंद्र प्रसाद ने कहा कि वे महागठबंधन में ही रहेंगे, एनडीए में नहीं जाएंगे। वे जीतनराम मांझी के फैसले के साथ नहीं हैं। इसके बाद देर शाम पार्टी प्रवक्ता डाॅ. दानिश रिजवान ने कहा कि नालंदा सीट से लोकसभा उम्मीदवार रहे अशोक आजाद और औरंगाबाद से लोकसभा उम्मीदवार रहे उपेंद्र प्रसाद को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि इन दोनों को उस समय लालू प्रसाद के कहने पर ही हम (सेक्युलर) ने टिकट दिया था। दोनों ही नेता हम (सेक्युलर) में रहते हुए लालू प्रसाद के लिए काम कर रहे थे। प्रदेश उपाध्यक्ष प्रफुल्ल चंद्र, महासचिव नीतीश कुमार दांगी, सचिव राकेश कुमार भी मांझी के फैसले के साथ नहीं दिख रहे हैं। उपेंद्र प्रसाद राजद से हम (से) में आये थे। इसके पहले वे जदयू से एमएलसी थे। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले चुनाव लड़ने के लिये वे हम में शामिल हुए थे।

महागठबंधन का दावा है कि एनडीए में लोजपा के साथ दलित वोट पर अब हम (से) भी दावेदार हो जाएगी। यह शंका ही लोजपा नेताओं के लिए संकट का सबब है। इससे एनडीए की मुश्किल बढ़ेगी और महागठबंधन की राह आसान हो जाएगी। लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान की जदयू से तल्खी को देखते हुए मांझी को खड़ा कर एनडीए की दलित राजनीति को बैलेंस करने की कोशिश की जा रही है। अबतक एनडीए में एकतरफा लोजपा अधिसंख्य दलित वोट की दावेदारी करती रही है। अब मांझी भी उसमें हिस्सेदार बन सकते हैं। यह मुश्किल एनडीए का नेतृत्व कैसे हल करेगा, इसी पर एनडीए की आगे की राजनीति निर्भर करेगी।

मांझी ने दावा किया कि मुसहर समाज उनके इशारे पर अब मत करने लगा है। ऐसे में मगध प्रमंडल और नेपाल की सीमा से जुड़े सीमांचल के जिलों में बसी मुसहर समाज की बड़ी आबादी पर वे इस बार अपना प्रभाव छोड़ पाएंगे, इसी आशा के साथ वे एनडीए में शामिल हुए हैं। वैसे भी सीमांचल का मुसहर समाज परंपरागत रूप से भाजपा का वोटर रहा है।

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