दुर्गापूजा में न पंडाल बनेंगे, न मूर्ति स्थापित होगी, न ही गांधी मैदान में रावण मा’रा जाएगा

कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए इस बार नवरात्र में न तो कहीं पंडाल बनेगा और न ही मंदिर से बाहर कहीं प्रतिमा स्थापित होगी। रावण दहन भी नहीं होगा। शासन-प्रशासन के रवैये से यह साफ हो गया है। हालांकि पटना समेत कई जिलों में अब तक रोक संबंधी कोई स्पष्ट आदेश जारी नहीं किया गया है। लेकिन पूजा समितियों के बार-बार अनुरोध के बावजूद तैयारी की इजाजत भी नहीं दी गई है।

जबकि, नवरात्र 17 अक्टूबर से शुरू है। यानी अब 10 दिन ही बचे हैं। इस बाबत पूछे जाने पर गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने सिर्फ यह कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के 30 सितंबर की गाइडलाइन को बिहार में पूरी तरह लागू किया गया है। वहीं, पटना के डीएम कुमार रवि ने कहा कि 15 अक्टूबर से धार्मिक सभा-सम्मेलन में 200 लोगों के शामिल होने की अनुमति दी गई है। लेकिन, पूजा पंडाल में हजारों लोग आते हैं। पंडाल बनाने की अनुमति देने से कोरोना से लड़ाई और चुनाव दोनों पर असर पड़ेगा। हालांकि कहा कि अभी अंतिम निर्णय नहीं हुआ है। एसएसपी और सिविल सर्जन से राय मांगी है। रिपोर्ट मिलने के बाद चर्चा कर अंतिम फैसला लिया जाएगा।

जिला प्रशासन की तरफ से स्पष्ट निर्देश जारी नहीं हाेने से राजधानी की 60 से अधिक पूजा समितियां असमंजस में हैं। झारखंड अाैर बंगाल सहित अन्य राज्यों में जारी गाइडलाइन के अाधार पर तैयारी चल रही है। उनका कहना है कि पट खुलने से 10 दिन पहले भी यदि अनुमति मिलती है, तो चार फीट की मूर्ति स्थापित कर सकेंगे। छोटे स्तर पर पूजा आयोजन को लेकर समितियां कारीगरों के संपर्क में हैं।

{रैली और विसर्जन जुलूस में तय सीमा से अधिक लाेग नहीं जा सकेंगे। अायाेजकाें अाैर प्रशासन काे ये व्यवस्थाएं तय करनी हाेंगी।
{प्रदर्शनी, मेला, पूजा पंडाल, रामलीला पंडाल में लोगों की संख्या सुनिश्चित करनी हाेगी।दुर्गापूजा समिति ने डाकबंगला चौराहे के पास कलश स्थापन की खातिर छोटे पंडाल के निर्माण के लिए बांस-बल्ला गाड़ना शुरू किया था। दो-चार बांस बांध भी दिए थे। लेकिन, उसी दिन शाम में प्रशासन ने सख्ती के साथ बांस-बल्ला

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