NRC से ना हो परेशान, अगर ये नौ दस्तावेज हैं आपके पास, तो आप हैं भारत के नागरिक

सरकार द्वारा सिटीजनशिप एमेंडमेंट एक्ट (Citizenship Amendment Act) बनने के बाद अब देशभर मेंं नागरिकता को लेकर चर्चा का माहौल गर्म है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह समेत सरकार के सभी मंत्रियों ने नागरिकता कानून और एनआरसी से नहीं घबराने की सलाह दी है. आज हम आपको बता रहे हैं कि अगर आपके पास ये नौ आसान दस्तावेज होंगे तो यकीनन आप भारत के नागरिक हैं और आपका नाम NRC (The National Register of Citizens) यानि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर में होगा.

इस समय नागरिकता का सवाल पूरे देश में उठाया जा रहा है कि अगर कल को अगर नागरिकता का सबूत देना पड़े तो कैसे देंगे. वास्तव में ये दस्तावेज आसान दस्तावेज हैं, लिहाजा जो भी भारत में पैदा हुआ है और यहां रह रहा है, उसके पास इनमें से कोई ना कोई दस्तावेज भी जरूर होगा.

संविधान में विभिन्न अनुच्छेदों के जरिए नागरिकता को पारिभाषित किया गया है. इन अनुच्छेदों में वक्त-वक्त पर संशोधन भी हुए हैं. संविधान का अनुच्छेद 5 से लेकर 11 तक नागरिकता को पारिभाषित करता है. इसमें अनुच्छेद 5 से लेकर 10 तक नागरिकता की पात्रता के बारे में बताता है, वहीं अनुच्छेद 11 में नागरिकता के मसले पर संसद को कानून बनाने का अधिकार देता है.

नागरिकता को लेकर 1955 में सिटीजनशिप एक्ट पास हुआ. एक्ट में अब तक चार बार 1986, 2003, 2005 और 2015 में संशोधन हो चुके हैं.

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इसके अनुसार अगर ये दस्तावेज आपके पास होंगे तो आप इस सूची में शामिल हो सकते हैं : 1) जमीन के दस्तावेज जैसे- बैनामा, भूमि के मालिकाना हक का दस्तावेज. 2) राज्य के बाहर से जारी किया गया स्थायी निवास प्रमाणपत्र.

3) भारत सरकार की ओर से जारी पासपोर्ट. 4) किसी भी सरकारी प्राधिकरण द्वारा जारी लाइसेंस/प्रमाणपत्र. 5) सरकार या सरकारी उपक्रम के तहत सेवा या नियुक्ति को प्रमाणित करने वाला दस्तावेज.

6) बैंक/डाक घर में खाता. 7) सक्षम प्राधिकार की ओर से जारी किया गया जन्म प्रमाणपत्र. 8) बोर्ड/विश्वविद्यालयों द्वारा जारी शिक्षण प्रमाणपत्र. 9) न्यायिक या राजस्व अदालत की सुनवाई से जुड़ा दस्तावेज.

संविधान में भारतीय नागरिक को स्पष्ट तौर पर पारिभाषित किया गया है. संविधान का अनुच्छेद 5 कहता है कि अगर कोई व्यक्ति भारत में जन्म लेता है और उसके मां-बाप दोनों या दोनों में से कोई एक भारत में जन्मा हो तो वो भारत का नागरिक होगा. भारत में संविधान लागू होने के 5 साल पहले यानी 1945 के पहले से रह रहा हर व्यक्ति भारत का नागरिक माना जाएगा.

हालांकि जब असम में NRC प्रक्रिया को लागू किया तो उसमें ये माना गया कि वो शख्स NRC के तहत, भारत का नागरिक होने के योग्य है, जो साबित करते हैं कि या तो वे या उनके पूर्वज 24 मार्च 1971 को या उससे पहले भारत में थे. ये प्रक्रिया बांग्लादेशी प्रवासियों को बाहर करने के लिए शुरू की गई थी. बता दें कि 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद बांग्लादेश का निर्माण हुआ था.

नागरिकता संशोधन कानून बनने के बाद ये चर्चा काफी ज्यादा है कि अब देशभर में एनआरसी लागू होगा. हालांकि भारत में पैदा हुए या लंबे समय से रह रहे लोगों के लिए इसमें घबराने की कोई बात नहीं है. अगर कोई भारत में नहीं भी जन्मा हो, लेकिन वो यहां रह रहा हो और उसके मां-बाप में से कोई एक भारत में पैदा हुए हो तो वो भारत का नागरिक माना जाएगा. अगर कोई व्यक्ति यहां पांच साल तक रह चुका हो तो वो भारत की नागरिकता के लिए अप्लाई कर सकता है.

संविधान का अनुच्छेद 6 पाकिस्तान से भारत आए लोगों की नागरिकता को पारिभाषित करता है. इसके मुताबिक 19 जुलाई 1949 से पहले पाकिस्तान से भारत आए लोग भारत के नागरिक माने जाएंगे. इस तारीख के बाद पाकिस्तान से भारत आए लोगों को नागरिकता हासिल करने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. दोनों परिस्थितियों में व्यक्ति के मां-बाप या दादा-दादी का भारतीय नागरिक होना जरूरी है.

संविधान का अनुच्छेद 7 पाकिस्तान जाकर वापस लौटने वाले लोगों के लिए है. इसके मुताबिक 1 मार्च 1947 के बाद अगर कोई व्यक्ति पाकिस्तान चला गया, लेकिन रिसेटेलमेंट परमिट के साथ तुरंत वापस लौट गया हो वो भी भारत की नागरिकता हासिल करने का पात्र है. ऐसे लोगों को 6 महीने तक यहां रहकर नागरिकता के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. ऐसे लोगों पर 19 जुलाई 1949 के बाद आए लोगों के लिए बने नियम लागू होंगे.

एनआरसी में वो सभी लोग पात्र हैं जो या तो भारत में पैदा हुए, या 1949 के बाद भारत आए या फिर वो लोग, जिन्होंने देश की नागरिकता हासिल कर ली हो

संविधान का अनुच्छेद 8 विदेशों में रह रहे भारतीयों की नागरिकता को लेकर है. इसके मुताबिक विदेश में पैदा हुए बच्चे को भी भारतीय नागरिक माना जाएगा अगर उसके मां-बाप या दादा-दादी में से से कोई एक भारतीय नागरिक हो. ऐसे बच्चे को नागरिकता हासिल करने के लिए भारतीय दूतावास से संपर्क कर पंजीकरण करवाना होगा.

संविधान का अनुच्छेद 9 भारत की एकल नागरिकता को लेकर है. इसके मुताबिक अगर कोई भारतीय नागरिक किसी और देश की नागरिकता ले लेता है तो उसकी भारतीय नागरिकता अपने आप खत्म हो जाएगी.

संविधान का अनुच्छेद 10 नागरिकता को लेकर संसद को अधिकार देता है. इसके मुताबिक अनुच्छेद 5 से लेकर 9 तक के नियमों का पालन करने वाले भारतीय नागरिक होंगे. इसके अलावा केंद्र सरकार के पास नागरिकता को लेकर नियम बनाने का अधिकार होगा. सरकार नागरिकता को लेकर जो नियम बनाएगी उसके आधार पर किसी को नागरिकता दी जा सकेगी.

संविधान का अनुच्छेद 11 संसद को नागरिकता पर कानून बनाने का अधिकार देता है. इस अनुच्छेद के मुताबिक किसी को नागरिकता देना या उसकी नागरिकता खत्म करने संबंधी कानून बनाने का अधिकार भारत की संसद के पास है.

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