पारस सहित पटना के 20 PVT हास्पिटलों की लापरवाही उजागर, 18 ने कहा— हमारे पास नहीं है आक्सिजन

कोरोना के बढ़ते केस के साथ राजधानी के अस्पतालों की स्थिति भी बिगड़ती जा रही है। दैनिक भास्कर की टीम ने शनिवार को पटना के 20 निजी अस्पतालों में जाकर हकीकत जाना तो होश उड़ा देने वाली जानकारी सामने आई। प्रशासन के दावे के 48 घंटे बाद भी इन 20 में से 18 निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन बिल्कुल नहीं है। निजी अस्पताल संचालकों के मुताबिक हालात इतने दयनीय हो चुके हैं कि पिछले 48 घंटों में 6 मरीज ऑक्सीजन नहीं मिलने की वजह से दम तोड़ चुके हैं। हालत बिगड़ती देख अस्पताल वाले ऑक्सीजन खत्म होने पर मरीज को दूसरी जगह ले जाने को कह रहे हैं। जिन अस्पतालों में एक-दो दिन के लिए ऑक्सीजन बचा है, वहां एक भी बेड खाली नहीं है। पटना के अलावा दूसरे जिलों से आए गंभीर कोरोना मरीज अस्पतालाें का चक्कर लगाते फिर रहे हैं।

20-35 हजार में ब्लैक हाे रहा रेमडेसिविर
दैनिक भास्कर की टीम को निजी अस्पताल के चिकित्सकों ने बताया कि अस्पतालों में रेमडेसिविर इंजेक्शन कहीं भी नहीं है, पर चोरी छुपे इसे ब्लैक में बेचा जा रहा है। चिकित्सकों के मुताबिक ब्लैक में इंजेक्शन के लिए 20 से 35 हजार रुपए तक वसूले जा रहे हैं। जबकि इसकी कीमत 4-5 हजार रुपए है। एक मरीज को छह डोज लगाई जाती है।

एनएमसीएच अधीक्षक का खत- मुझे पद से मुक्त करें
एनएमसीएच के अधीक्षक डॉ. विनोद सिंह ने प्रधान सचिव को पत्र लिखकर अधीक्षक के अतिरिक्त कार्यभार से मुक्त करने की बात कही है। लिखा है कि मेरे अथक प्रयास के बाद भी एनएमसीएच में ऑक्सीजन आपूर्ति में बाधा आ रही है। मैं सशंकित हूं कि ऑक्सीजन की कमी से मरीज की मृत्यु पर सारी जवाबदेही मेरे ऊपर डालते हुए मुझ पर कार्रवाई होगी।

पहले आईसीयू में वसूली, फिर कह रहे ऑक्सीजन नहीं
जिस अस्पताल में ऑक्सीजन नहीं है वहां कुछ ठीक हालत वाले कोरोना मरीज को गंभीर बता आईसीयू में भर्ती कर ले रहे हैं। पर जब हालत बिगड़ने लगती है तो ऑक्सीजन ख़त्म होने की बता कह उन्हें दूसरे अस्पताल में जाने को कहा जाता है। वैशाली के मो युसुफ की पत्नी को 4 दिन तक आईसीयू में रख 2.5 लाख का बिल बनाया। फिर दूसरे अस्पताल में ले जाने को कह दिया दिया।

पीएमसीएच-एनएमसीएच में भी एम्स जैसे हाे पाइप से अाॅक्सीजन की सप्लाई
हाईकाेर्ट ने कहा कि जिस तरह पटना एम्स में ऑक्सीजन की आपूर्ति पाइपलाइन के जरिये होती है उसी तर्ज पर पीएमसीएच, एनएमसीएच के लिए भी पाइपलाइन लगवाने की कवायद शुरू करें लेकिन फिलहाल ऑक्सीजन सिलेंडर का पर्याप्त भंडारण सुनिश्चित करें। पटना एम्स में रोजाना 2800 आरटीपीसीआर टेस्ट होते हैं जिसमंे पांच जिले भोजपुर, अरवल जहानाबाद, समस्तीपुर और खगड़िया से मरीजों को सीधे यहां भेजा जाता है। उन पांच जिलों सहित पूरे राज्य में आरटीपीसीआर की सुविधा बढ़ाएं। अभी रोज 40 हजार टेस्ट हो रहे हैं।

डेली बिहार न्यूज फेसबुक ग्रुप को ज्वाइन करने के लिए लिंक पर क्लिक करें….DAILY BIHAR

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *