कोरोना वैक्सीन बनाने वाली कंपनी का दावा, दवा बन भी जाए तो हरेक तक पहुंचने में लगेंगे 2 साल

कोरोना वैक्सीन बाजार में आ भी जाए तो हरेक तक पहुंचने में दो साल लगेंगे, तब तक मास्क के साथ ही बचाव: पूनावाला

दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदर पूनावाला का कहना है कि कोरोना वैक्सीन के बाजार में आने के बावजूद उसे हर भारतीय तक पहुंचाने में दो साल लगेंगे। लेकिन, हमें निश्चिंत नहीं होना है। इससे बचाव के लिए हमें मास्क लगाने, दो गज की दूरी जैसी आदतों के साथ जीना होगा। मीडिया प्लेटफार्म ‘इंक्वायरी’ के लिए वरिष्ठ पत्रकार शोमा चौधरी के साथ उनकी विशेष बातचीत के संपादित अंश…

ट्रायल में 90% तक इम्युन रिस्पांस, साइड इफेक्ट भी नहीं : पूनावाला ने कहा कि अभी तक वैक्सीन पर जो स्टडी की गई उसमें पता चला कि 90% तक इम्युन रिस्पांस है। तीसरे चरण के ट्रायल के रिजल्ट के बाद स्थिति और साफ हो जाएगी। इसके साइड इफेक्ट भी नहीं है। अगले दो-तीन महीनों में जब इंसानी ट्रायल में इसकी सफलता साबित हो जाएगी, तब हम सेलिब्रेट करेंगे।

देश में निचले तबके के हर व्यक्ति तक पहुंचाएंगे वैक्सीन : वैक्सीन के लिए हमने 1500 करोड़ रु. खर्च किए हैं। सबसे बड़े वैक्सीन निर्माता होने के कारण हमारा फर्ज भी है कि समाज के अंतिम तबके तक यह आसानी से सुलभ हो। मानवता हमारी पहली प्राथमिकता है। मैं अपने बच्चों को भी यही ट्रेनिंग दूंगा कि हमेशा गरीबों की मदद करें। मेरी मां ने भी मुझे यही सिखाया है।

स्वास्थ्य नहीं होगा, तो दूसरा कोई सेक्टर भी नहीं होगा : महामारी ने सिखाया कि अगर स्वास्थ्य नहीं होगा, तो दूसरा कोई सेक्टर भी नहीं होगा। किसी भी वैक्सीन के बाजार में आने के लिए 3 से 4 साल का समय लगता था। रेगुलेटरी सिस्टम अब तेजी से काम कर रहा है। जिन कामों में सालभर लगते थे, वही अब 3 से 4 दिनों में हो रहा है। क्लीयरेंस तुरंत मिल रहा है।

बिल गेट्स आदर्श, मदद भुला नहीं सकते हैं…बिल गेट्स मेरे आदर्श हैं। उनसे हमेशा सीखता हूं। चेक काटकर देना ही चैरिटी नहीं होती। महत्वपूर्ण यह है कि आप त्रासदी में दुनिया को कितना समय देते हैं। वैक्सीन बनाने में उनकी मदद को दुनिया भुला नहीं सकती।

देश में अब लॉकडाउन का कोई फायदा नहीं…पहला लॉकडाउन जरूरी था, लेकिन अब यह उतना कारगर साबित नहीं होगा। इससे देश की अर्थव्यवस्था गिरेगी। छोटे दुकानदार, दिहाड़ी कर पेट पालने वालों के लिए अब रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा।

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