‘राफेल पर ॐ लिखना और नीबू लटकाना संस्कृति है न कि अंधविश्वास’

मेरे हिसाब से संस्कृति उसे कहते हैं जो पुराने समय से चली आरही हो…. जैसे ख़तना मूँड़न जनेऊ या अन्नप्रासन जैसी चीज़ें…. लेकिन कोई मुझे बताएगा कि रामायण महाभारत या अशोक से लेकर गुप्त के ज़माने में अगर कोई राजा घोड़े के आगे नीबू लटका कर युद्ध लड़ा हो तो????

ये कोई संस्कृति वनकृति है ही नहीं…. ये सब बाबाओं और मुल्लाओं के चोचले हैं बस… हिंदू मुसलमान दोनो तांत्रिक नीबू मिर्ची जैसी चीज़ों का इस्तेमाल करते हैं…. आँख बंद करके सबको अपनी संस्कृति न मानकर बैठ जाइए …. नीले रंग का वही नज़र रोधक यंत्र मेरे कई दोस्तों के यहाँ ओम् लिखकर लटका हुआ है तो कई के यहाँ अल्लाह या मुहम्मद लिखकर… दोनो ही कंडीशन में ये संस्कृति न है भाई… उनका धंधा है और आपका अंधविश्वास

और हाँ संविधान में अंधविश्वास को बढ़ावा देना अपराध लिखा है किसी ने, देख लीजिएगा एक बार

हाँ और एक बात और बता दूँ, नीबू चप्पल ये सब टोटके पाकिस्तान में भी उतने ही पॉप्युलर हैं जितने यहाँ…. तो इसे बेमतलब हिंदू-मुसलमान वाले एंगल से न देखिएगा जो आपकी आदत रही है.

Haider rizvi

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