इसबार टूटेगा 65 साल का रिकॉर्ड, 1955 से शुरू रावण वध कार्यक्रम इस साल होगा स्थगित!

PATNA : ऐतिहासिक गांधी मैदान में 65 साल से दशहरे के मौके पर रावण वध का सिलसिला इस बार टूट सकता है। कोरोना की संजीवनी इस बार रावण को जलने से बचा सकती है। लॉकडाउन की बंदिशों के चलते यह आयोजन रद हो सकता है। दशहरा कमेटी के अध्यक्ष कमल नोपानी का कहना है कि इस बार रावण वध कार्यक्रम की संभावना बेहद कम है। नागा बाबा ठाकुरबाड़ी परिसर में होने वाली रामलीला पर भी संशय है। नोपानी बताते हैं कि आयोजन को लेकर एक बार जिला प्रशासन से बात की जाएगी। कोरोना संक्रमण के कारण दुर्गा पूजा समितियां भी इस बार सुस्त हैं। गांधी मैदान में रावण वध की परंपरा 65 साल पहले 1955 में शुरू हुई। देश के बंटवारे के बाद पाकिस्तान से आये लोगों की इसमें प्रमुख भूमिका रही। तब पंजाब से ढोल-नगाड़े बजाने वाले और रामलीला करने वाले कलाकार आए थे। बाद के दिनों में बक्सर के प्रसिद्ध संत नारायणजी उर्फ मामाजी का इस आयोजन से जुड़ाव हुआ।

रावण के पुतले का आकार समय के साथ बढ़ता रहा है। पहली बार रावण का पुतला 24-25 फीट का था। वर्ष 2019 में 75 फीट का पुतला जलाया गया था। गया के मोहम्मद जमाल पिछले 17 साल से गांधी मैदान में रावण का पुतला बनाते रहे हैं। अब उनका बेटा जफर और पोता गोल्डन भी इस काम में सहयोग करता है। इससे पहले भी दो बार रावण वध का कार्यक्रम स्थगित रहा है। पहली बार 1962 में भारत-चीन युद्ध और दूसरी बार 1975 में आई भीषण बाढ़ के दौरान रावण वध का आयोजन नहीं हो सका। 1975 में कमेटी ने चंदे की राशि मुख्यमंत्री राहत कोष में दी थी। 1955 में पहली बार 14 लोगों की कमेटी बनी थी। इसमें लाहौर दशहरा कमेटी के अध्यक्ष रहे बख्शीराम गांधी, मोहनलाल गांधी और ओम प्रकाश कोचर आदि का जुड़ाव था। 2005 में दशहरा कमेटी का निबंधन कराते हुए ट्रस्ट की स्थापना की गई। इसके पहले अध्यक्ष सुशील चंद्र श्रीवास्तव और सचिव तिलक राज गांधी थे। रावण वध कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल, मुख्यमंत्री भी मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेते रहे हैं।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *