स्कूल बस ड्राइवर का बेटा बना IAS अफसर, UPSC में सुमित ठाकुर ने कर दिया कमाल, गरीबी से है पुराना नाता

यूPATNA-पीएससी का रिजल्ट आने के बाद से लगातार कामयाबी की शानदार कहानियां सामने आ रही हैं. जमशेदपुर में एक स्कूल वैन ड्राइवर के बेटे सुमित ठाकुर ने यूपीएससी में 263वीं रैंक हासिल की. सुमित के पिता विजय कुमार ठाकुर जमशेदपुर के एक स्कूल में वैन चलाते हैं.

जमशेदपुर में स्कूल वैन चालक के बेटे ने क्लियर की यूपीएससी परीक्षा, मिली 263वीं रैंक

आदित्यपुर के स्कूल वैन चालक विजय कुमार ठाकुर के इकलौते बेटे सुमित ठाकुर ने यूपीएससी परीक्षा क्लियर कर ली. उन्हें ऑल इंडिया रैंकिंग में 263वां स्थान मिला है. घर में खुशियों का माहौल है.यह परिवार आदित्यपुर की 2 नंबर कॉलोनी के रोड नंबर 3 में रहता है. स्कूल वैन चालक पिता विजय कुमार ठाकुर कहते हैं कि कोचिंग कराने लायक पैसा तो नहीं था, इसलिए उसने अपने बलबूते पर तैयारी की. दोस्तों की मदद से पढ़ता रहा. यह सब उसकी खुद की मेहनत का फल है. यह बात सुमित की मां नीता देवी भी कहती हैं. वह कहती हैं, ‘हमको तो उम्मीद ही नहीं थी कि किसी गरीब का बेटा भी इतनी बड़ी परीक्षा पास कर सकता है. लेकिन मेरे परिवार के लोगों का सहयोग रहा, खुद सुमित की मेहनत भी रही. सबकी मदद से मेरे बेटे ने यह परीक्षा पास कर ली. हम बहुत खुश हैं.’

सुमित की मां बताती हैं कि इसके पहले जब कई परीक्षाओं में वह नाकाम रहा था तो हमलोग उसे समझाते थे. इस बार तो वह बाहर है. रिजल्ट आने के पहले हमसब डरे हुए थे. इतना अच्छा रिजल्ट आएगा – इसकी उम्मीद नहीं थी. बस, हमसब चिंतित थे कि उसे कैसे समझाएंगे. पर अब जब सबकुछ अच्छा हो गया है तो सचमुच हमारी समझ में कुछ नहीं आ रहा, बस हम बहुत खुश हैं.

सुमित बताते हैं कि 2012 में उन्होंने बिष्टुपुर के रामकृष्ण मिशन स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा पास की थी. तभी उन्होंने ठान लिया था कि उन्हें यूपीएससी क्लियर करना है. सुमित ने राजेंद्र विद्यालय से इंटरमीडिएट की है और बीआईटी सिंदरी से 2018 में बीटेक किया है.

उन्होंने बताया कि बीआईटी सिंदरी के कैंपस सलेक्शन में उसे 3 बड़ी कंपनियों ने चुन लिया था. लेकिन वे नौकरियां उन्होंने मंजूर नहीं कीं. सुमित बताते हैं कि यूपीएससी में यह उनका तीसरा प्रयास था. पिछले साल उन्हें 435वीं रैंक मिली थी, जिसे उन्होंने स्वीकार नहीं किया था. 2019 के अपने पहले प्रयास में वे 3 नंबर से चूक गए थे. सुमित बताते हैं कि उन्हें बूस्टअप तब मिला जब भारत सरकार के स्मार्ट इंडिया हैकाथन में उन्हें तीसरा रैंक मिला. सुमित के मुताबिक, उन्हें दिल्ली की भीड़भाड़ पसंद नहीं थी. इसलिए उन्होंने बंगलुरु में रहकर खुद से तैयारी की. उन्होंने जेनरल स्टडी के लिए केवल 3 महीने कोचिंग ली, लेकिन वह रास नहीं आया. सुमित के घर में पिता के अलावा मां नीता ठाकुर और बड़ी बहन हैं जो शादीशुदा हैं.

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