मिठाई दुकानदार का बेटा बना IAS अफसर, UPSC परीक्षा से पहले टूटा हाथ, पहले प्रयास में बन गया DM

नाम सौरभ स्वामी. पद राजस्थान के प्रतापगढ़ में वर्तमान जिला अधिकारी अर्थात डीएम के पद पर कार्यरत हैं. इंटर परीक्षा में शानदार प्रदर्शन करते हुए 90% नंबर लाकर बने जिला टॉपर. कुल मिलाकर कहा जाए तू गरीब घर का एक बच्चा जो शुरू से ही पढ़ाई लिखाई में काफी होनहार था उसने अपनी प्रतिभा के दम पर पहले साल 2011 में भारतीय विद्यापीठ नई दिल्ली से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन से इंजीनियरिंग पास की और बाद में सिविल सेवा ज्वाइन करने का फैसला लिया.

सौरभ कहते हैं कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद में भारतीय इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड अर्थात बिल में अच्छी सैलरी पर नौकरी करने लगा, लेकिन बचपन से ही मैं अवसर बनने का सपना देखा था इसीलिए दिल में इस बात को लेकर कसक थी कि आखिरकार किसी तरह सपने को साकार किया जाए. मुझे आज भी याद है साल 2015 यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के दौरान मेरा हाथ टूट गया था, लेकिन मैं जमकर मेहनत की और मुझे पहले ही बार में ऑल इंडिया रैंक 149 प्राप्त हुए.

स्वामी के अनुसार उनके पिताजी एक दुकान चलाते हैं जहां मिठाई और जूस मिला करता था. मैं भले आज दम बन गया हूं लेकिन पिताजी आज भी मिठाई की दुकान चलाते हैं. शुरुआती दौर में घर की आरती की स्थिति ठीक नहीं थी. स्कूल में पढ़ाई के दौरान ही मैं कभी कबार पापा के साथ मिठाई दुकान पर बैठकर उनकी मदद किया करता था.

स्वामी ने 12वीं की बोर्ड परीक्षा में 90 फीसदी अंकों के साथ जिले में टॉप किया था. वहीं, 10वीं में भी उनके 88 फीसदी अंक थे. उन्होंने साल 2011 में भारतीय विद्यापीठ, नई दिल्ली से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन से अपनी इंजीनियरिंग पूरी की थी. उसी साल उन्होंने भारत सरकार की एयरोस्पेस और डिफेंस इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) की ऑल इंडिया परीक्षा पास कर ली थी. BEL में उनकी बेंगलुरु में डिजाइन इंजीनियरिंग की जॉब लगी. BEL में रहते हुए वह रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के साथ मिलकर काम करते थे.

अगस्त, 2014 में प्री परीक्षा का रिजल्ट आने के बाद कहां तो स्वामी को सितंबर, अक्टूबर और नवंबर तीन महीने में मेंस की तैयारी करनी थी लेकिन उन पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा. देहरादून में आर्मी के इक्विपमेंट के ट्रायल के दौरान उनका हाथ फ्रैक्चर हो गया. स्वामी कहते हैं कि वह बुरी बात तो थी लेकिन हाथ फ्रैक्चर होने के कारण उन्हें तीन महीने की छुट्टी मिल गई. यह अच्छी बात हो गई. मुझे मेंस की तैयारी करने के लिए समय मिल गया. इस तरह तैयारी के दौरान मैं टूटा हुआ हाथ लेकर कोचिंग के लिए राजेंद्र नगर की गलियों में घूमता था.

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