दर्जी का दोनों बेटा एक साथ बना IPS, मां-बाप ने कपड़ा सिलाई कर दोनों को अफसर बना दिया

नई दिल्ली 14 अप्रैल 2023 : हमारा नाम पंकज कुमावत और अमित कुमावत है. हम दोनों भाई 2019 बैच के आईपीएस अधिकारी है. हमारा जन्म एक गरीब और साधारण परिवार में हुआ था. मम्मी पापा मेहनत मजदूरी करके किसी तरह से परिवार का पालन पोषण करते थे. हम दोनों भाइयों ने कभी जीवन में नहीं सोचा था कि हम यूपीएससी परीक्षा पास कर एक साथ आईएएस अधिकारी बन जाएंगे. जिस घर में दो समय का भोजन उपलब्ध ना हो, वहां काफी सुख सुविधाएं मिलने लगेगी. हम दोनों भाइयों ने एक साथ स्कूल जाना शुरू किया. एक साथ कॉलेज की पढ़ाई की. यूपीएससी परीक्षा की तैयारियां भी हम दोनों ने साथ साथ किया था. अब आईपीएस अधिकारी भी एक साथ बने हैं.

पंकज कुमावत बताते हैं कि यूपीएससी परीक्षा में मुझे 443 रैंक आया था. अमित का कहना है मेरा परीक्षा परिणाम भाई से थोड़ा खराब रहा और मुझे 600 रैंक मिला है. दोनों भाइयों का कहना है कि हमें आज भी याद है जिस दिन रिजल्ट निकला था और हम दोनों पास हुए थे उस दिन मम्मी पापा काफी खुश थे. पिता सुभाष कुमावत लोगों के बीच लड्डू बांट रहे थे. हो भी क्यों ना. दर्जी का बेटा आईएएस बन गया यह कोई कम बात तो नहीं. मां राजेश्वरी देवी तुरपाई का काम करती थी.

पिता सुभाष कुमावत बताते हैं कि हमारा परिवार गरीब जरूर था लेकिन हम शिक्षा के महत्व को जानते थे. यही कारण था हमने पेट काटकर दोनों बेटों को पढ़ाया. दोनों बेटों को आईआईटी दिल्ली से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक करवाया. नौकरी लगने के बाद भी दोनों बेटों को यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रेरित करता रहा. मैं यह भी जानता था कि यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करवाना कोई आसान काम नहीं था. पैसे की जरूरत होती है. किसी तरह की कोई कमी ना रह जाए इसलिए हम पति-पत्नी ने दिन रात मेहनत करके पैसे कमाए और बेटों ने मेहनत कर परीक्षा पास की.

पिता बताते हैं कि साल 2018 में मेरे दोनों बेटों ने पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी थी और दोनों पास हो गए. अपने परीक्षा परिणाम से दोनों भाई खुश नहीं थे. साल 2018 में अमित को आईपीएस कैडर मिला था. इसके के बाद दोनों ने फिर से परीक्षा देने का फैसला लिया. साल 2019 में अमित को 423 रैंक और पंकज को 424 रैंक मिला. दोनों भाई को आईपीएस का कैडर मिला.

माता पिता की मेहनत पर दोनों बेटे कहते हैं कि हम लोगों के लिए पढ़ना बहुत आसान था लेकिन पढ़ाई के लिए संसाधन जुटाना मम्मी पापा के लिए कोई आसान काम नहीं था. आईपीएस अधिकारी बनने का हंड्रेड परसेंट क्रेडिट मम्मी पापा को जाता है. भगवान ऐसे माता-पिता सबको दे. हमें मम्मी पापा पर नाज है.

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