कश्मीर वासियों के लिए ख’तरा हैं उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती, मोदी सरकार ने लगाया पीएसए

उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर पीएसए लगा

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर गुरुवार को जन सुरक्षा कानून (पीएसए) लगा दिया है। दोनों नेता पिछले साल पांच अगस्त से नजरबंद चल रहे हैं। दो अन्य नेताओं पर भी पीएसए लगाया गया है। उमर के पिता और नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष फारुख अब्दुल्ला पहले से ही इसके तहत बंद हैं।

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 के प्रावधान हटाए जाने से पहले तीनों नेताओं को प्रशासन ने नजरबंद कर दिया था। पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती और नेशनल कांफ्रेस के नेता उमर अब्दुल्ला को बीते छह माह से हि’रासत में रखा गया था, जिसकी अवधि गुरुवार को समाप्त हो रही थी। गुरुवार को मजिस्ट्रेट दोनों नेताओं के बंगले पर पहुंचे और आदेश की जानकारी दी।

दो अन्य नेता भी शामिल : इसके अलावा जिन दो कश्मीरी नेताओं पर पीएसए लगाया गया है, उनमें नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री अली मोहम्मद सागर और सरताज मदनी शामिल हैं। सरताज मदनी पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के मामा हैं। इनकी छह महीने की एहतियाती हिरासत गुरुवार को खत्म हो रही थी। पीडीपी ने इस कदम की आलोचना की है।

जन सुरक्षा कानून उन लोगों पर लगाया जाता है, जिन्हें सुरक्षा और शांति के लिए ख’तरा माना जाता हो। 1978 में शेख अब्दुल्ला ने इस कानून को लागू किया था। 2010 में इसमें संशोधन किया गया था, जिसके तहत बगैर ट्रायल के ही कम से कम छह महीने तक जेल में रखा जा सकता है। राज्य सरकार चाहे तो इसे बढ़ाकर दो साल कर सकती है।

पीडीपी के प्रवक्ता मोहित भान ने कहा, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के खिलाफ पीएसए लगाए जाने की पार्टी आलोचना करती है। प्रवक्ता ने कहा, अगर सरकार का विरोध करने पर मुख्यधारा के नेताओं पर मुकदमे होते हैं तो यह लोकतंत्र की हत्या है।

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