Exclusive : दो से अधिक बच्चा होने पर छीन सकता है वोटिंग देने का अधिकार, BJP सरकार का नया कानून

नई दिल्ली, 20 जून 2023 : लगता है एक देश एक कानून का सपना बहुत जल्द साकार होने वाला है. सूत्रों के अनुसार केंद्र की मोदी सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड अर्थात यूसीसी पर बहुत जल्द बड़ा फैसला लेने जा रही है. इस कानून के बन जाने के बाद भारत के हर एक नागरिक पर एक समान कानून लागू होगा, चाहे वह हिंदू हो या मुसलमान, सिख हो या इसाई… सबको एक तरह के कानून का पालन करना होगा. ताजा अपडेट के अनुसार केंद्र की मोदी सरकार इस बिल के साथ-साथ जनसंख्या नियंत्रण को भी छोड़ने जा रही है. कयास लगाया जा रहा है कि दूर से अधिक बच्चा होने पर चुनाव में वोटिंग करने का अधिकार छीन सकता है.

एबीपी न्यूज़ के पत्रकार अभिषेक उपाध्याय अपने फेसबुक वॉल पर जानकारी देते हुए लिखते हैं कि देश के पहले यूनिफॉर्म सिविल कोड से जुड़ी एक और बड़ी खबर सामने आ रही है. उत्तराखंड के यूनिफार्म सिविल कोड का हिस्सा होगा पापुलेशन कंट्रोल. समवर्ती सूची की एंट्री 20A के आधार पर यूनिफार्म सिविल कोड में शामिल किया जाएगा जनसंख्या नियंत्रण. संसद में पेश किए गए Responsible Parenthood bill 2018 की तर्ज पर होंगे पापुलेशन कंट्रोल के प्रावधान. इस बिल के तहत दो बच्चों के नियम का उल्लंघन करने वाले लोगों को नही होगा मताधिकार और सरकारी सुविधाओं का अधिकार. उत्तराखंड की तेजी से बदलती डेमोग्राफी के चलते इस प्रावधान की ज़बरदस्त माँग थी.

समान नागरिक संहिता क्या है? जानें एक देश एक कानून UCC के फायदे क्या हैं?

समान नागरिक संहिता दरअसल एक देश एक कानून की विचारधार पर आधारित है। यूसीसी के अंतर्गत देश के सभी धर्मों और समुदायों के लिए एक ही कानून लागू किए जाना है। समान नागरिक संहिता यानि यूनिफॉर्म सिविल कोड में संपत्ति के अधिग्रहण और संचालन, विवाह, तलाक और गोद लेना आदि को लेकर सभी के लिए एकसमान कानून बनाया जाना है।

भारतीय संविधान के मुताबिक भारत एक धर्म-निरपेक्ष देश है, जिसमें सभी धर्मों व संप्रदायों (जैसे – हिंदू, मुस्लिम, सिख, बौद्ध, आदि) को मानने वालों को अपने-अपने धर्म से सम्बन्धित कानून बनाने का अधिकार है।  इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अधिवक्ता शत्रुघ्न सोनवाल के अनुसार, “भारत में दो प्रकार के पर्सनल लॉ हैं। पहला है हिंदू मैरिज एक्ट 1956; जो कि हिंदू, सिख, जैन व अन्य संप्रदायों पर लागू होता है। दूसरा, मुस्लिम धर्म को मानने वालों के लिए लागू होने वाला मुस्लिम पर्सनल लॉ। ऐसे में जबकि मुस्लिमों को छोड़कर अन्य सभी धर्मों व संप्रदायों के लिए भारतीय संविधान के प्रावधानों के तहत बनाया गया हिंदू मैरिज एक्ट 1956 लागू है तो मुस्लिम धर्म के लिए भी समान कानून लागू होने की बात की जा रही है।”

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