चाय वाले की बेटी बनी अफसर, UPPSC परीक्षा में लहराया सफलता का परचम, रिजल्ट सुन रो पड़े माता-पिता

चाय बेचने वाले की बेटी ने क्रैक की सिविल सेवा परीक्षा, कहा आसमान तक सीमित रहूं वो परिंदा नहीं हूं मैं : मेरा नाम शिखा शर्मा है और मेरे पिताजी पिछले 30 सालों से चाय और मिठाई की दुकान चलाते हैं. हमारा परिवार एक गरीब परिवार है किसी तरह से पापा की कमाई से परिवार का गुजर चलता है. पापा शिक्षा की महत्व जानते थे इसीलिए उन्होंने मुझे हमेशा पढ़ने के लिए प्रेरित किया. मैं भी उन्हें निराश करने के बदले जमकर मेहनत की. आज मैं एक अवसर बन चुकी हूं. मैंने उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन परीक्षा में सफलता का परचम लहराया है.

दरअसल, हम बात कर रहे हैं मेरठ की रहने वाली शिखा शर्मा की, जिनके पिता चाय और मिठाई की दुकान चलाते हैं. आज शिखा ने साबित कर दिया है कि अगर आप में कुछ कर दिखाने का हौसला है, तो दुनिया जहां की कोई भी बाधा आपको सफल होने से नहीं रोक सकती है. बता दें कि शिखा के घर की आर्थिक स्थिति कुछ अच्छी नहीं है, पढ़ाई के सोर्स के आभाव के बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी और पीसीएस परीक्षा पास कर डाली.

शिखा के पिता शंकरदत्त शर्मा तकरीबन पिछले 30 सालों से चाय की दुकान चला रहे हैं. आर्थिक स्थिति अच्छी ना होने के कारण भी उन्होंने कभी भी अपनी बेटियों को पढ़ाने में कोई कमी नहीं रखी. वे अपनी बेटियों की हर ख्वाहिश पूरी करने के लिए पूरी कोशिश करते हैं. बता दें कि शिखा को कविता लिखने का भी काफी शौक है. वो लिखती हैं कि “कठिनाईयों से हार जाऊं वो इंसान नहीं हूं मैं, रुक जाऊं जिस दिन और हार जाऊं, समझो ज़िन्दा नहीं हूं मैं, है हौसलों की आरज़ू रुकना मुझे आता नहीं, आसमान तक सीमिति रहूं वो परिंदा नहीं हूं मैं.”

बता दें कि शिखा का चयन दिव्यांगजन एवं सशक्तिकरण अधिकारी के रूप में हुआ है. शिखा कहती हैं कि अगर पूरी तरह से लगन के साथ तैयारी की जाए, तो सफलता जरूर मिलती है. शिखा ने अपने गुरु राजेश भारती, ऋतु भारती को अपनी सफलता का श्रेय दिया है. शिखा कहती हैं कि उन्होंने परीक्षा की तैयारी के लिए मेरठ के अमात्य इंस्टीट्यूट से कोचिंग ली थी. जहां सर राजेश भारती और ऋतु भारती ने उन्हें पूरा गाइडेंस दिया था. 

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