जामिया के बच्चों से पुलिस ने कहा- ‘भागो, खाते हो हिंदुस्तान का और गाते हो पाकिस्तान का’

आज रविश कुमार का प्राइम टाइम बेहद खास रहा। आज के एपिसोड में जामिया की कई छात्राओं ने भाग लिया और लोगों को रूबरू करवाया की आखिर उस दिन क्या हुआ था। एक छात्रा ने आरोप लगाया कि पुलिस ने लाइब्रेरी में घुसकर पहले हमें पी’टा फिर हाथ ऊपर करके बाहर निकलने को कहा। पुलिस वालों ने हमें कहा- अब हिम्मत है तो पत्थर फेंके के दिखाओ। खाते हो हिंदुस्तान का गाते हो पाकिस्तान का।

रविश ने अपने फेसबुक पर लिखा है कि मुझे तो यही बताया गया कि जामिया की कुछ लड़कियाँ मिलना चाहती है। हाँ कहने के बाद ऑफिस पहुँचा तो दस लड़कियाँ खड़ी थीं। किसी के हाथ टूटे थे तो कोई चल नहीं पा रही थीं। उन्होंने कहा कि उनकी बात ठीक से नहीं सुनी गई हैं इसलिए वो इस हालत में आई हैं। कहना चाहती हैं। मेरी तो कोई तैयारी थी नहीं। दफ़्तर आया था कुछ और सोच कर। उनके पास कहने को बहुत कुछ था। स्टुडियो तक जाते जाते काफ़ी कुछ कह चुकी थीं। शायद किसी से कहने की बेचैनी रही होगी। मैं सुनता रहा।

रिकार्डिंग के वक्त उनके पास जो बचा था वो सुनाती चली गईं। कुछ हिस्सा समय के कारण संपादित हो गया। सारी की सारी इस वक्त मानसिक यातना से गुज़र रही हैं। नागरिकता का प्रमाण माँगे जाने का अपमान और पुलिस की बर्बरता ने उनकी नींदें उजाड़ दी हैं। वो अपने हर तरह के यक़ीन से बेदख़ल हो गई थीं। किसी तरह रिकार्डिंग के बाद हम सभी बाहर आए। चाय पीने तो इतिहास को लेकर बात होने लगी। तभी ऑटो से चार पाँच लड़कियाँ ढोल मंजीरे के साथ जा रही थीं।

उनकी नज़र पड़ी तो हाथ हिलाया तो हमने कहा तुम लोग भी आ जाओ। सड़क पर मजमा बन गया। जामिया की लड़कियों का दर्द और कमला नेहरू की लड़कियों का जज़्बा साझा होने लगा। एक की बातचीत से नहीं लगा कि सहानुभूति की चाह है। इस तरह बिखर जाने के बाद भी उनके भीतर की गरिमा अपने अभिमान के साथ खड़ी थी। कुछ लोग वाक़ई शालीनता की हदें पार कर जाते हैं। उरूसा, मदीहा, सिम्मी, नबीहा, आसिया, नाएला, अख़्तरिस्ता, चंदा यादव, सृजन चावला, ईमान का शुक्रिया।

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