दिल्ली हिंसा; आरोपियों पर अदालत ने अपनाया सख्त रवैया, दंगा में सक्रिय किसी आरोपी को जमानत नहीं

दिल्ली दंगे के एक आरोपी को अदालत ने जमानत देने से इंकार कर दिया। अदालत ने कहा कि आरोपी पर दंगों में सक्रियता के गंभीर आरोप हैं। ऐसे में उसे जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता। कड़कड़डूमा स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव की अदालत ने आदेश में कहा कि दंगों में एक समुदाय द्वारा दूसरे के खिलाफ जिस तरह के हथियारों का इस्तेमाल किया गया, उससे साफ है कि गैरकानूनी तरीके से इकठ्ठा होकर संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया और लोगों को चोट पहुंचाई गई। अदालत ने कहा कि यह मामला सुनवाई का है। आरोपी को इस स्तर पर जमानत देना उचित नहीं है। शिव मंदिर के पास हुए इस दंगे में दो लोगों को गोली लगी थी, जबकि पांच पत्थरबाजी में गंभीर रूप से जख्मी हुए थे।

इस मामले में मौके से गिरफ्तार आरोपी की निशानदेही पर इस आरोपी की गिरफ्तारी हुई थी।

घातक हथियार के साथ दिखा

अदालत ने सीसीटीवी फुटेज का हवाला देते हुए कहा कि आरोपी को फुटेज में घातक हथियारों के साथ देखा जा सकता है। अदालत ने कहा कि इस मामले की जांच साजिश के आधार पर जारी है। वहीं, विशेष लोक अभियोजक सीलम अहमद ने सीसीटीवी फुटेज को आरोपी के खिलाफ पुख्ता प्रमाण बताते हुए कहा कि लोक निर्माण विभाग से प्राप्त फुटेज में आरोपी को अन्य दंगाइयों के साथ साफ देखा जा सकता है। सरकारी वकील ने आरोपी की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी के हाथ में डंडा दिख रहा है, जबकि उसके साथियों के हाथ में पिस्तौल, बैट, पत्थर देखे जा सकते हैं। अगर इस आरोपी को जमानत पर छोड़ा जाता है वह साक्ष्यों और गवाहों के साथ छेड़छाड़ कर सकता है।

बचाव पक्ष ने क्या कहा

बचाव पक्ष के अधिवक्ता महमूद प्राचा का कहना था कि उनके मुवक्किल को झूठे मामले में फंसाया गया है। उसके खिलाफ दिखाए जा रहे सीसीटीवी फुटेज से छेड़छाड़ की गई है। अदालत ने बचाव पक्ष की दलीलों को खारिज करते हुए आरोपी को जमानत देने से इंकार कर दिया।

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