तीन दोस्तों ने पाई-पाई जोड़कर खरीदी साइकिल, फिर लगातार 16 दिन तक चलाकर महाराष्ट्र से पहुंचे बिहार

Patna: बिहार के नवादा (Nawada) में भी प्रवासी मजदूरों के आने का सिलसिला लगातार जारी है. इसी दौरान नवादा में प्रवासी मजदूर कुछ ऐसे भी मिले जिन्हें देखकर आप सोचने को मजबूर हो जाएंगे कि वह ऐसी कठिन परिस्थिति में भी कैसे अपने मंजिल तक पहुंचे. दरअसल नवादा आईटीआई स्थित ट्रांजिट क्‍वारंटाइन सेंटर में महाराष्ट्र से तीन मजदूर दो साइकिल से पहुंचे, जिसमें एक मजदूर विकलांग हैं. तीन में से एक मजदूर दानी पंडित का एक हााथ फैक्ट्री में हादसे में कट गया था, लेकिन उसकी चिंता किये बगैर तीनों मजदूर बिहार पहुंच गए. नवादा पहुंचने के बाद तीनों मेडिकल जांच कराने के लिए खुद ट्रांजिट सेंटर पहुंचे.

तो वहीं नवादा के अलग-अलग क्षेत्र के रहने वाले श्यामसुंदर कुमार, भूषण ठाकुर और दानी पंडित पिछले 20 अप्रैल को महाराष्ट्र के अहमदनगर से अपने घर के लिए निकले थे. तीनों साइकिल से ही सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय कर अपने घर पहुंचे. क्‍वारंटाइन सेंटर में सभी लोग यह बात सुनकर अचंभित रह गए कि साइकिल से तीनों मजदूर महाराष्ट्र से नवादा तक कैसे आ गए. दानी पंडित ने सभी को बताया कि रहने में काफी दिक्कत हो रही थी और पैसे भी खत्म हो रहे थे. इस दौरान फैक्ट्री मालिक द्वारा काम भी बंद करा दिया गया था, लिहाजा खाने के लिए और रहने के लिए उनके पास कुछ भी नहीं बचा था. इसलिए उन्होंने दो नई साइकिल खरीदी और उसमें सभी जरूरी सामान लेकर घर की ओर निकल लिए. हालांकि, इनके जत्थे में अन्य जिलों के भी मजदूर इनके साथ शामिल थे, जो अलग होते चले गए.

वारसलीगंज के हैवतपुर निवासी श्यामसुंदर कुमार ने बताया कि रास्ते में कई प्रकार के कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. बड़ी-बड़ी दुर्गम घाटी को पार कर वह महाराष्ट्र, एमपी, यूपी होते हुए बिहार पहुंचे. श्यामसुंदर ने बताया कि जब वो साइकिल चलाकर थक जाते थे तो उनके साथ चल रहे रूपौ थाना क्षेत्र के बेनीपुर गांव निवासी भूषण ठाकुर साइकिल चलाते थे. तीनों एक साथ महाराष्ट्र के अहमदनगर में एक फैक्ट्री में काम करते थे. लॉकडाउन होने के बाद सभी एक साथ तय कर घर के लिए निकल गए. नवादा ट्रांजिट क्‍वारंटाइन सेंटर पहुंचने पर इन सभी मजदूरों का थर्मल स्क्रीनिंग किया गया और फिर इसके बाद उन्हें वहां रहने की व्यवस्था की गई. क्‍वारंटाइन सेंटर में मौजूद बीडीओ ने सभी को खाना खिलवाया और रहने के लिए आरामगृह में भिजवाया.

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