बिहार में चमकी बुखार का कहर, पांच बच्चों की गयी जा’न
PATNA : सूबे में चमकी बुखार से बच्चों की मौ-त का सिलसिला जारी है। चमकी बुखार से शनिवार को गया में दो, छपरा में एक, भागलपुर के बांका में एक व मुजफ्फरपुर में एक बच्चे की मौ-त हो गयी।
अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल में संदिग्ध एईएस के मरीज भर्ती होने का सिलसिला लगातार जारी है। 2 जुलाई से लेकर शनिवार तक पांच दिनों में संदिग्ध बीमारी से पी-ड़ित अब तक 16 बच्चे भर्ती हुये हैं। इसमें पांच बच्चे की मौ-त हो चुकी है। शेष 11 का इलाज चल रहा है। शनिवार को चार बच्चे संदिग्ध बीमारी से भर्ती हुये हैं। वहीं दो बच्चे की मौत हो गयी है।
एईएस से पूर्वी चंपारण की बच्ची की मौ-त : एईएस से शनिवार को एसकेएमसीएच के पीआईसीयू में भर्ती एक बच्ची की मौ-त हो गई। मृ-तका साढ़े तीन वर्षीया मुस्कान पूर्वी चंपारण के तुरकौलिया की रहने वाली थी। उसे तीन दिन पहले चमकी-बुखार की शिकायत पर भर्ती कराया गया था। पैथोलॉजिकल जांच के बाद डॉक्टर ने एईएस की पुष्टि की थी। अब उत्तर बिहार में चमकी-बुखार से म-रने वाले बच्चों की संख्या 194 हो गई है। वहीं 581 मामले सामने आए हैं। एसकेएमसीएच अधीक्षक डॉ. सुनील कुमार शाही ने बताया कि 24 घंटे में एईएस से एक बच्ची की मौ-त हुई जबकि चमकी-बुखार का एक भी मरीज भर्ती नहीं हुआ है। पहले से भर्ती छह बच्चों का इलाज पीआईसीयू में चल रहा है। सबकी हालत गंभीर है।
तुरंत मिल सकेगी बीमार बच्चों की जांच रिपोर्ट : एईएस के प्रकोप के दौरान अब पीड़ित बच्चों की सभी तरह की पैथोलॉजी जांच जल्द हो जाएगी। इलाज कर रहे डॉक्टरों को तुरंत जांच रिपोर्ट मिल जाएगी। इससे इलाज में मदद मिलेगी। केंद्रीय टीम की अनुशंसा के बाद राज्य सरकार एसकेएमसीएच में सेंट्रल लैब जल्द शुरू करेगी। इसमें नए खुले वायरोलॉजी सेंटर के साथ माइक्रोबायोलॉजी व पैथोलॉजी विभाग संयुक्त रूप से काम करेंगे। दरअसल, जून में बीमारी का प्रकोप बढ़ने के दौरान केंद्रीय टीम ने माना कि जिस तरीके से सीरियस मरीज रहते हैं, उनके कई ऑर्गन फेल रहते हैं। इसलिए आवश्यकता के अनुसार तुरंत वायरस व अन्य संदेहास्पद बीमारियों की जांच जरूरी होती है। इलाज के दौरान केंद्रीय टीम को केवल टीसी-डीसी, मलेरिया व टीबी जांच की ही रिपोर्ट मिलने में 24 घंटे का समय लगा। इसकी रिपोर्ट के बाद बिहार सरकार के साथ केंद्र सरकार ने भी सेंट्रल लैब की सुविधा बहाल करने के लिए एसकेएमसीएच से प्रस्ताव मांगा है। इस बारे में माइक्रोबायोलॉजी व पैथोलॉजी विभाग से आए प्रस्ताव को प्राचार्य डॉ. विकास कुमार ने पटना मुख्यालय को भेज दिया है। साथ ही वायरोलॉजी सेंटर को और बेहतर करने के लिए प्राचार्य ने दोनों विभाग के अध्यक्षों को निर्देश दिया है।
इधर, अस्पताल अधीक्षक डॉ. एसके शाही ने बताया कि एमसीआई भी कई साल से सेंट्रल लैब रिसर्च सेंटर खोलने को कह रही है। इसकी भी सूचना स्वास्थ्य विभाग के वरीय अधिकारियों को दी गयी है। जांच को लेकर किट की समस्या है। इसको देखते हुए पहल हो रही है।