अमित शाह के बयान ने बदल दी बिहार की राजनीति, मोदी कैबिनेट में शामिल होगी JDU, चर्चा तेज

मोदी मंत्रिपरिषद में शामिल होने को लेकर जेडीयू से जिन तीन नामों की चर्चा हो रही है, वे हैं- आरसीपी सिंह, ललन सिंह और संतोष कुशवाहा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के दूसरे कार्यकाल के लिए जब मंत्रिपरिषद (Council of minister) का शपथ ग्रहण हो रहा था तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने अनुपातिक भागेदारी नहीं मिलने का कारण बताकर शामिल नहीं होने का फैसला किया था। इसके बाद मुख्यमंत्री ने बिहार मंत्रिपरिषद का विस्तार किया तो जेडीयू (JDU) के आठ विधायक ने मंत्री पद की शपथ ली थी। वहीं भाजपा के कोटे से इस विस्तारीकरण में कोई भी शामिल नहीं हुआ था। सियासी गलियारों में इसे सीएम नीतीश (CM Nitish) का बदला माना जा रहा था।

इसके बाद बीजेपी-जेडीयू के रिश्तों में खटास की खबरें ही अक्सर सुर्खियों में रहने लगीं। लेकिन, बीते 17 अक्टूबर को जब न्यूज 18 के एडिटर इन चीफ राहुल जोशी से खास बातचीत में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि बिहार में 2020 का विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही एनडीए चुनाव लड़ेगी तो न केवल बीजेपी-जेडीयू नेताओं की सारी कयासबाजी और बयानबाजी पर ब्रेक लग गई बल्कि नीतीश कुमार की तरफ टकटकी लगाए विपक्ष को भी तगड़ा झटका लगा।

इसी के साथ एक सवाल भी बिहार की सियासी गलियारों में फिर चर्चा में आ गया है कि क्या अब जेडीयू केन्द्रीय मंत्रीमंडल में शामिल होगी ? दरअसल इस बात की चर्चा है कि महाराष्ट्र और हरियाणा चुनाव के बाद केंद्रीय मंत्रिपरिषद का विस्तार हो सकता है। ऐसे में इस विस्तार में जेडीयू भी शामिल हो सकती है।

दरअसल इसके पीछे तर्क यह भी सामने आ रहे हैं कि 2020 के विधानसभा चुनाव में दोनों ही पार्टियों को और अच्छा प्रदर्शन करना है तो उसे एकजुट दिखना भी होगा। वरना अब तक तो मोदी-2 मंत्रिपरिषद के शपथ ग्रहण के बाद से अब तक जेडीयू-बीजेपी के बीच दूर-दूर, पास-पास वाली राजनीति ही चल रही है।

ट्रिपल तलाक, अनुच्छेद 370 और एनआरसी जैसे मुद्दो पर मुखर रही जेडीयू-बीजेपी के बीच मतभेद तो जगजाहिर हैं। लेकिन अमित शाह के इस बयान ने बिहार की पूरी राजनीति बदल दी है। अब तो बीजेपी के कुछ नेताओं ने यह भी कहना शुरू कर दिया है कि अगर जेडीयू केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होगी तो वे इसका स्वागत करेंगे।

nitish kumar in amit shah dinner party
उधर जेडीयू के खेमे में भी इस बात पर चर्चा जोर पकड़ रही है कि अगर जेडीयू केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल होगी तो कौन-कौन मंत्री बनेगे। फिलहाल सांसद आरसीपी सिंह, ललन सिंह और सांसद संतोष कुशवाहा के नामों पर अटकलबाजियां चल रही हैं। आरसीपी को कैबिनेट, ललन सिंह को स्वतंत्र प्रभार और संतोष कुशवाहा को केन्द्रीय राज्य मंत्री बनाए जाने को लेकर भी चर्चा हो रही है।

मोदी मंत्रिपरिषद में शामिल होने को लेकर जेडीयू से जिन तीन नामों की चर्चा हो रही है, वे हैं- आरसीपी सिंह, ललन सिंह और संतोष कुशवाहा।

बता दें कि इसी वर्ष अप्रैल-मई में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव नतीजों में बिहार में एनडीए 40 में से 39 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इनमें 17 बीजेपी, 16 जेडीयू और 6 सीटें एलजेपी के खाते में गई थीं। हालांकि अकेले 303 सीटों के साथ सरकार बनाने सक्षम होने के बावजूद बीजेपी ने सभी सहयोगियो को भी केन्द्रीय मंत्रीमंडल में जगह दी। लेकिन जेडीयू को एक पद मिलना नागवार गुजरा और वह शामिल नहीं हुई।

बहरहाल अब राजनीतिक परिस्थितियां भी बदल गई हैं और एनडीए की ओर से यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि बिहार में सीएम नीतीश ही एनडीए का चेहरा हैं। वहीं, उपचुनाव के लिए हो रहे चुनाव प्रचार के दौरान नीतीश कुमार भी कह चुके हैं कि जेडीयू-बीजेपी गठबंधन मजबूत है। जाहिर है कि बिहार में जेडीयू-बीजेपी दोनों को शिद्दत से एक दूसरे की जरूरत है और यह बात दोनों पार्टियों के नेता जानते हैं। सवाल ये है कि क्या अब ये दोनों ही दल दूर-दूर-पास-पास वाली राजनीति से किनारा कर लेंगे?

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