अभी-अभी : विवादित जमीन पर रामलला का दावा बरकरार, मस्जिद के लिए मिलेगा अलग से जमीन

New Delhi : अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ रहा है। इस फैसले का पूरे देश को इंतजार था। CJI ने कहा कि 1949 में दो मूर्तियां रखी गईं। उन्होंने कहा कि मस्जिद बाबर के दौर में बनाई गई। मस्जिद मीर बाकी ने बनाई थी। कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े का दावा भी खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि निर्मोही अखाड़े को सेवायत का अधिकार नहीं है।

कोर्ट ने कहा कि बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी थी। हम खुदाई में मिले सबूतों को नजरअंदाज नहीं कर सकते। खुदाई में जो मिला वो इस्लामिक ढांचा नहीं था। ASI ने अपनी रिपोर्ट में मंदिर की बात कही है। ASI ने मस्जिद या ईदगाह का जिक्र नहीं किया है। अयोध्या में राम के जन्म के दावे का किसी ने विरोध नहीं किया।

40 दिन तक हुई रोजाना सुनवाई : इस मामले की 6 अगस्त से सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई शुरू हुई जो 16 अक्टूबर को खत्म हुई। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच जजों की बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस पीठ में न्यायमूर्ति बोबडे, न्यायमूर्ति धनंजय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर थे।

क्या था इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला : 30 सितंबर, 2010 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अयोध्या के विवादित स्थल को राम जन्मभूमि करार दिया था। हाई कोर्ट ने 2.77 एकड़ जमीन का बंटवारा कर दिया गया था। कोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्माही अखाड़ा और रामलला के बीच जमीन बराबर बांटने का आदेश दिया था।

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